मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने कहा, ऑनलाइन गेम कंपनियों को कानून के दायरे में लाएंगे
हाल ही में छतरपुर में ऑनलाइन गेम की लत के चलते 13 साल के बच्चे ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। बच्चे ने एक गेम पर 40 हजार रुपये खर्च कर दिए थे और स्वजन को इसका पता लगने पर व्यथित था।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। ऑनलाइन मोबाइल गेम की अनियमितताओं को लेकर मध्य प्रदेश सरकार सतर्क है। जल्द ही इन कंपनियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा। सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी कंपनियों की गतिविधियों और बच्चों के इसके कुचक्र में फंसने की घटनाओं पर नजर रखें। कानूनी मापदंड तय करने के लिए विधि विभाग से विचार-विमर्श किया जा रहा है।
डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा- सभी पुलिस अधीक्षकों को कंपनियों पर नजर रखने के दिए हैं निर्देश
यह बात प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सोमवार को मीडिया से चर्चा में कही। मालूम हो, हाल ही में छतरपुर में ऑनलाइन गेम की लत के चलते 13 साल के बच्चे ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। बच्चे ने एक गेम पर 40 हजार रपये खर्च कर दिए थे और स्वजन को इसका पता लगने पर व्यथित था। गृह मंत्री ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा कि एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। हम उन कंपनियों को छोड़ेंगे नहीं, जो बच्चों को ऑनलाइन गेम का आदी बनाकर भटकाने का काम कर रही हैं।
निगरानी तंत्र विकसित करें: मुख्यमंत्री
कानून-व्यवस्था को लेकर आयोजित बैठक में भी यह विषय चर्चा में आया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की बढ़ती आदत और इसके परिणामस्वरूप हुई आत्महत्या की घटना पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने निर्देश दिए कि इसके लिए आवश्यक निगरानी तंत्र विकसित किया जाए।
मोबाइल से गेम को हटाने वाले बच्चों को करेंगे सम्मानित
उधर, छतरपुर के पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने भी बच्चों को ऑनलाइन गेम की लत से बाहर निकालने के लिए नई पहल शुरू कर दी हैं। उन्होंने कहा है कि जो बच्चे बिना किसी दबाव के मोबाइल से ऐसे गेम हटाएंगे, उन्हें एसपी ऑफिस बुलाकर सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि रविवार को छतरपुर के सिविल लाइन थाना पुलिस ने फ्री फायर गेम के संचालकों के खिलाफ नाबालिग को आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रकरण दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।