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मध्य प्रदेश: बरैया का बयान खड़ी कर रहा मुश्किलें, संविधान और गंगा जमुनी जीवन पद्धति को आघात पहुंचाने का आरोप

बरैया के बयान पर माहौल गर्म। प्रख्यात विधिवेत्ताओं की नजर में बरैया ने देश की गंगा जमुनी जीवन पद्धति पर गहरा आघात पहुंचाया। सजा देने को भी सामने आए लोग। समाज में भड़काऊ बयान देने पर है तीन से पांच साल की सजा का प्रविधान कांग्रेस अब भी मौन।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 06:19 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 06:19 PM (IST)
मध्य प्रदेश: बरैया का बयान खड़ी कर रहा मुश्किलें, संविधान और गंगा जमुनी जीवन पद्धति को आघात पहुंचाने का आरोप
बरैया का बयान खड़ी कर रहा मुश्किलें।

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के भांडेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए फूल सिंह बरैया के जहरीले बोल से उपजा विवाद गहराता जा रहा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर से संबंध रखने वाले प्रख्यात विधिवेत्ताओं की नजर में बरैया ने देश की गंगा जमुनी जीवन पद्धति पर गहरा आघात पहुंचाया है। यह कानूनन अपराध है। यह जातीय उन्माद फैलाने वाला बयान माना जा रहा है। यह दंगा भड़काने की नियत से भड़काऊ बयान देना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इधर, बरैया के विवादास्पद बयान पर कांग्रेस अभी भी मौन है।

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पांच साल की सजा का प्रविधान

भारतीय दंड संहिता की (आईपीसी) धारा-153 ए-आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। धारा 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है। 153(बी) के तहत किसी भी जाति, समुदाय आदि के विरूद्ध किसी भी प्रकार से बोलना, लिखना आदि कानूनी अपराध है। इसके लिए 5 वर्ष तक की सजा है।

यह असंवैधानिक

इस तरह का बयान देना असंवैधानिक है। इससे आपसी संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा और अशांति फैलेगी। संविधान में स्पष्ट रूप से सभी को समान मानते हुए विकास के समान अवसर प्रदान प्रदान किए हैं। इससे अगड़ों-पिछड़ों में वैमनस्य शुरू हो सकता है। बटंवारे की मानसिकता बढ़ावा मिलेगा। आनंद मोहन माथुर, पूर्व महाधिवक्ता मप्र शासन, इंदौर

अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन

फूल सिंह बरैया के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई सम्भव है। लोकतंत्र के सबसे बड़े महोत्सव चुनाव में जातिवादी कटु आक्षेप अनुचित है। शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग कठोर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। यह अभिव्यक्ति की आजादी की मर्यादा का भी उल्लंघन है। - रविनन्दन सिंह, पूर्व महाधिवक्ता, मप्र हाई कोर्ट, जबलपुर

कारावास की सजा 

बयान अपराध की श्रेणी में है। भादवि की धारा 153 (क) के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास का प्रविधान है। इसके अलावा भादवि की धारा 153(ख) के तहत भी यह दंडनीय अपराध है, इसमें 5 वर्ष का कारावास व जुर्माने की सजा हो सकती है। भादवि की धारा 500 के तहत मानहानीकारक कृत्य माना जाता है और 2 वर्ष का कारावास व जुर्माना लग सकता है। अवधेश सिंह भदौरिया, अधिवक्ता, मप्र हाई कोर्ट, ग्वालियर


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