सरकार ने कहा कि एफसीआरए में संशोधन किसी धर्म या एनजीओ के खिलाफ नहीं, रुकेगा विदेशी धन का दुरुपयोग
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम एफसीआरए (FCRA) में संशोधन का विधेयक सोमवार को लोकसभा से पास हो गया। सरकार ने विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक किसी धर्म या एनजीओ के खिलाफ नहीं है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। लोकसभा ने सोमवार को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Amendment Bill, FCRA) में संशोधन के विधेयक को पारित कर दिया। इसमें गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के पंजीकरण के लिए उसके पदाधिकारियों की आधार संख्या उपलब्ध कराना अनिवार्य बनाया गया है। विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म या एनजीओ के खिलाफ नहीं है।
चर्चा का जवाब देते हुए नित्यानंद राय ने जोर देकर कहा कि इस विधेयक से विदेशी धन का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी और यह आत्मनिर्भर भारत के लिए भी जरूरी है। इससे पहले चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य एंटो एंटनी ने कहा कि इस विधेयक के जरिये एनजीओ का गला घोटने की कोशिश की जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई एनजीओ देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि कुछ मामलों में देखा गया है कि तकनीकी वजहों से लाइसेंस निरस्त हो जाते हैं जो अल्पसंख्यकों पर हमला है। अधिनियम में संशोधनों को गलत नीयत से लाया गया बताते हुए उन्होंने सरकार से जल्दबाजी नहीं करने का अनुरोध किया। भाजपा के सत्यपाल सिंह ने कहा कि बहुत से संगठन विदेशी अंशदान प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन जिस कार्य के लिए वे विदेशी धन प्राप्त करते हैं, उस पर खर्च नहीं कर रहे हैं।
सत्यपाल सिंह ने कहा कि विदेशी अंशदान के रूप में प्राप्त धनराशि आतंकी गतिविधियों पर खर्च नहीं की जा सकती। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि इस विधेयक की जरूरत ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार अनिवार्य नहीं है तो फिर एनजीओ के पंजीकरण के लिए सरकार इसे अनिवार्य क्यों कर रही है। वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना और जदयू ने विधेयक का समर्थन किया।