एक फरवरी को अंतरिम बजट में मोदी सरकार की बड़ी घोषणाओं पर लगी लोगों की निगाहें
लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने के आसार हैं। ऐसे में नई सरकार जुलाई में वित्त वर्ष 2018-19 का नियमित बजट पेश करेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक फरवरी को वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करेगी। यह मोदी सरकार का अंतिम बजट होगा। ऐसे में हर तरफ कयास लगाए जो रहे हैं कि क्या सरकार इस मौके पर बजट में कोई बड़ी घोषणा करेगी? संवैधानिक रूप से पाबंदी सिर्फ नए खर्च के प्रावधान पर है, घोषणा पर नहीं। इतिहास भी बताता है कि चुनाव से पहले आने वाले इस अंतरिम बजट में घोषणाओं के जरिए जनता को संदेश दिया जाता रहा है।
जिस साल लोक सभा चुनाव होते हैं उससे पूर्व सरकार नियमित बजट पेश करने के बजाय अंतरिम बजट पेश करती है और अलग से अनुदान की मांगों के लिए संसद की मंजूरी लेने के बजाय 'वोट ऑन अकाउंट' के जरिए महज कुछ महीने (अप्रैल-जून) के लिए संचित निधि से धनराशि निकालती है।
संविधान के अनुच्छेद 116 में है वोट ऑन अकाउंट का प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 116 में इसका प्रावधान है। इसका मकसद यह होता है कि अनुदान की मांगों पर संसद की मुहर लगने तक सरकार का कामकाज जारी रखने के लिए जरूरी धनराशि वोट ऑन अकाउंट के जरिए निकाल ली जाए। वैसे तो सरकार अंतरिम बजट में बाकायदा विभागवार आवंटन करती है, लेकिन खर्च महज कुछ समय के लिए ही निकालती है।
एक तरह से सरकार नियमित बजट आने से पहले वोट ऑन अकाउंट के जरिए अनुदान लेती है। चूंकि 'वोट ऑन अकाउंट' के जरिए किसी नई सेवा के लिए खर्च नहीं किया जा सकता, इसलिए हाल के वर्षो में यह परंपरा चली आ रही है कि जो भी सरकार अंतरिम बजट पेश करती है वह किसी नए कार्यक्रम के लिए धनराशि आवंटित नहीं करती है। इसी तरह वित्त मंत्री अंतरिम बजट में कोई नया टैक्स लगाने और प्रत्यक्ष करों से छेड़छाड़ करने से भी परहेज करते हैं।
हालांकि फरवरी 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वित्त वर्ष 2014-15 का अंतरिम बजट पेश करते हुए परोक्ष टैक्स में मामूली बदलाव किया था। उन्होंने तात्कालिक जरूरत का हवाला देकर ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दरें घटाने का ऐलान किया था। हालांकि उन्होंने यह सुविधा 30 जून 2014 तक ही दी थी। ऐसे में परोक्ष टैक्स कम करने के संबंध में वित्तमंत्री के समक्ष यह नजीर होगी।
हालांकि उन्हें मध्यम वर्ग और उद्योग जगत को आयकर और कारपोरेट टैक्स में राहत देने के लिए कोई अन्य रास्ता निकालना होगा। इसी तरह अगर किसानों को इसी साल राहत नया पैकेज देना है तो चालू वित्त वर्ष में ही अनुपूरक मांगों के जरिए प्रावधान कर धनराशि आवंटित करनी पड़ेगी।
लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने के आसार हैं। ऐसे में नई सरकार जुलाई में वित्त वर्ष 2018-19 का नियमित बजट पेश करेगी।