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Aadhar संशोधन विधेयक पारित, आधार न होने पर कोई सेवा से वंचित नहीं होगा

केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया और लोकसभा में पास हो गया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 06:27 PM (IST)
Aadhar संशोधन विधेयक पारित, आधार न होने पर कोई सेवा से वंचित नहीं होगा
Aadhar संशोधन विधेयक पारित, आधार न होने पर कोई सेवा से वंचित नहीं होगा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा ने गुरुवार को 'आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक 2019' को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाया गया है।

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चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आधार को सुरक्षित बताते हुए आश्वासन दिया कि सरकार जल्द ही डाटा संरक्षण विधेयक लाएगी और इसकी प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि आधार संशोधन विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में लाया गया है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी के पास आधार नहीं होने की स्थिति में उसे सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता।

केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि निजी कंपनी को आधार का कोर डाटा हासिल करने की इजाजत नहीं है, अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि आधार संप्रग सरकार के समय जरूर आरंभ हुआ था, लेकिन उस वक्त वह निराधार था और मोदी सरकार ने इसे कानून बनाया है। प्रसाद ने कहा कि देश की 130 करोड़ की आबादी में 123.8 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड हैं। देश में 69 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन आधार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने आधार को सुरक्षित करार देते हुए कहा कि देश की जनता ने आधार की उपयोगिता को स्वीकार किया है।

कानून मंत्री के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियां आधार का इस्तेमाल ग्राहकों की सहमति पर ही कर सकती हैं। साथ ही धारकों को वैकल्पिक व्यवस्था दी गई है, जिसमें वे पासपोर्ट, राशन कार्ड की कॉपी दे सकते हैं। रविशंकर ने आधार के फायदे बताते हुए कहा कि आधार के जरिये सरकार के 1.41 लाख करोड़ रुपये बचे हैं और लोगों तक सरकारी सेवाएं आसानी से पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि जब देश में ईमानदार सरकार होगी तब कुछ लोगों को परेशानी होगी।विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार बार-बार अध्यादेश का रास्ता अपना रही है जो लोकतंत्र कमजोर करने वाला कदम है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने आधार को संप्रग सरकार से उधार लिया है, लेकिन वह श्रेय नहीं देना चाहती।

कांग्रेस के ही सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि किसी की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आधार लाया गया था। लेकिन 2016 में जब सरकार बिल लेकर आई तो उसमें व्यक्ति की पहचान को सिर्फ एक नंबर तक समेट दिया गया।तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने आधार के साथ ही डाटा संरक्षण के लिए भी कदम उठाने की जरूरत बताई।

बीजद के पिनाकी मिश्रा ने आधार कानून को महत्वपूर्ण और अच्छा बताते हुए साथ में डाटा संरक्षण विधेयक भी लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि डाटा संरक्षण नहीं होने के कारण इसमें कई चुनौतियां हैं। मिश्रा ने कहा कि कुछ एजेंसियां हैं जो अपने फायदे के लिए लोगों के निजी आंकड़ों का इस्तेमाल कर रही हैं।


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