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Ayodhya Verdict : गोरखपुर के रहने वाले इस जज के फैसले पर खुला था राम मंदिर का ताला

1986 में राममंदिर का ताला खोलने का आदेश देने वाले जज कृष्ण मोहन पांडेय गोरखपुर के थे। फैजाबाद का जिला जज रहते उन्‍होंने यह एेतिहासिक फैसला दिया था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 02:52 PM (IST)
Ayodhya Verdict : गोरखपुर के रहने वाले इस जज के फैसले पर खुला था राम मंदिर का ताला
Ayodhya Verdict : गोरखपुर के रहने वाले इस जज के फैसले पर खुला था राम मंदिर का ताला

गोरखपुर, महेंद्र कुमार त्रिपाठी। अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का असर पूरे देश में है लेकिन गोरखपुर के जगन्‍नाथ पुर मोहल्ले में शनिवार का सीन थोड़ा सा अगल था। इस मोहल्ले के लोग प्रकरण के न्यायिक पक्ष से सीधे जुड़ रहे हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 1986 के उस एक ऐतिहासिक फैसला, जिससे राममंदिर का ताला खुला, इस मोहल्ले के एक युवक की कलम से निकला था। वह थे कृष्ण मोहन पांडेय, जो फैजाबाद के जिला जज होते थे।

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गाेरखपुर में की प्रैक्टिस

गोरखपुर में शिक्षा ग्रहण करने के बाद करीब दो वर्ष तक प्रैक्टिस किए। उसके बाद पीसीएसजे में टाप किए। देवरिया समेत अन्य जिलों में न्यायिक अधिकारी के पद पर रहते हुए उन्होंने न्यायिक फैसलों के मामले में प्रसिद्धि हासिल की थी।

किताब भी लिखी

इसके बाद वह फैजाबाद में जिला जज के पद पर रहते हुए ऐतिहासिक फैसला देते हुए फरवरी 1986 में अयोध्या में विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिए थे। उसके बाद उस वक्त की सरकार से नाराजगी हो गई और उनका तबादला ग्वालियर हाईकोर्ट में हो गया। 1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद कृष्ण मोहन पांडेय ने अंतरात्मा की आवाज किताब लिखी, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि अयोध्या में राम मंदिर कहे जाने वाले स्थान के बारे में मैंने जो फैसला लिया यह मेरे अंतरात्मा की आवाज थी।

1999 में हुआ निधन

उनके पुत्र लखनऊ हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता राकेश पांडेय बताते हैं। उनका निधन 1999 में हुआ। वह चाहते थे कि राम मंदिर मेरे रहते बन जाए तो बेहतर होगा। हालांकि यह संभव नहीं हो पाया। वह मूल्यों से समझौता करने वाले नहीं थे।


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