जनजातीय धर्मातरितों को आरक्षण लाभ बंद करने के लिए कानून बने, खरगोन के भाजपा सांसद ने उठाई मांग
आदिवासियों के लिए आरक्षण और अन्य लाभों की सुविधा बंद करने की मांग सोमवार को लोकसभा में जोरदार ढंग से की गई। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा सदस्य गजेंद्र सिंह पटेल (खरगोन) ने कहा कि आदिवासी समुदाय ने राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। अपना धर्म छोड़ दूसरा धर्म अपनाने वाले आदिवासियों के लिए आरक्षण और अन्य लाभों की सुविधा बंद करने की मांग सोमवार को लोकसभा में जोरदार ढंग से की गई। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा सदस्य गजेंद्र सिंह पटेल (खरगोन) ने कहा कि आदिवासी समुदाय ने राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। लेकिन एक व्यक्ति जो प्रलोभन में फंसकर दूसरा धर्म अपना लेता है वह आदिवासी संस्कृति को नुकसान पहुंचाता है।
पटेल ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से इस सदन में एक विधेयक लाने की अपील करता हूं ताकि उन लोगों को आरक्षण का लाभ समाप्त किया जा सके जो कोई अन्य धर्म अपनाते हैं। भाजपा के एक अन्य सदस्य अरुण साव (बिलासपुर, छत्तीसगढ़) ने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए एक कानून बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि देश में सीमित प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में हर नागरिक की जरूरतें पूरा करना मुश्किल होगा।
1857 में, भारत 83 लाख वर्ग किमी में फैला था और इसकी आबादी 35 करोड़ थी। आज, भारत दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी का घर है, लेकिन उसके पास दुनिया का केवल 2.4 प्रतिशत भूभाग और चार प्रतिशत जल संसाधन हैं। इन आंकड़ों से चिंता बढ़नी चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एम. श्रीनिवासलु रेड्डी ने होमगाडरें की सेवाओं को नियमित करने की मांग की। वहीं राकांपा की सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र में बागवानी किसानों के लिए मुआवजे की मांग की, जिन्हें राज्य के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा।
मुस्लिम लीग के सांसद अब्दुस्समद समदानी ने कोझीकोड हवाई अड्डे पर वाइड-बाडी विमान सेवाओं को फिर से शुरू करने की मांग की, जिन्हें पिछले साल एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान की दुर्घटना के बाद निलंबित कर दिया गया था। वे हज यात्रा के लिए कोझीकोड हवाईअड्डे को एक आरोहण स्थल के रूप में बहाल करना चाहते थे। भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने संविधान के 73वें संशोधन में अनिवार्य रूप से चुनाव कराए बिना जिला परिषद अध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ा दिया है।