एक देश एक कानून पर विधि आयोग गंभीर, कहा- किस आधार पर इस्लाम में बच्चा गोद लेने की मनाही है
एक देश एक कानून यानि समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग ने गहन मंथन शुरू कर दिया है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। एक देश एक कानून यानि समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग ने गहन मंथन शुरू कर दिया है। आयोग ने मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से पूछा है कि इस्लाम में बच्चा गोद लेने, संपत्ति में बंटवारा मांगने की मनाही और मां को बच्चे का संरक्षक न मानने का आधार क्या है। आयोग ने मुस्लिम पर्सनल ला से जुड़े इन मुद्दों पर बोर्ड से मौजूद व्यवस्था के अलावा ये भी पूछा है कि क्या इसमें बदलाव हो सकता है, अगर बदलाव हो सकता है तो वो क्या बदलाव होना चाहिए।
- आयोग ने इस्लाम में बच्चा गोद लेने की मनाही का आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से पूछा आधार
विधि आयोग ने सोमवार को समान नागरिक संहिता पर विचार विमर्श के लिए आयोग से मिलने आये आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के प्रतिनिधि मंडल के सामने ये सवाल रखे और बोर्ड से इन मुद्दों पर जवाब व सुझाव देने को कहा है। केन्द्र सरकार के कहने पर विधि आयोग आजकल समान नागरिक संहिता पर विचार कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान का कार्यकाल अगस्त में खत्म हो रहा है ऐसे में मामले पर इससे पहले रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
सोमवार को 17 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल विधि आयोग से मिला और करीब डेढ़ घंटे तक विचार विमर्श चला। परामर्श के दौरान आयोग ने उनसे मुस्लिम पर्सनल ला से जुड़े संपत्ति व उत्तराधिकार के मुद्दों पर सवाल किये। पूछा कि मुस्लिम पर्सनल ला में बच्चा गोद लेने, संपत्ति का बंटवारा मांगने की मनाही है। वहां मां को बच्चे का संरक्षक भी नहीं माना जाता। इन सब चीजों का आधार बतायें साथ ही इसमें सुधार के सुझाव दें। प्रतिनिधि मंडल इन सवालों का आयोग को जवाब देगा और फिर दोबारा विचार विमर्श के लिए आयोग से मिलेगा।
बताते चले कि इस्लाम में बच्चा गोद लेने की मनाही है इसके अलावा उसमें संपत्ति पर उत्तराधिकार भी हिन्दू ला की तरह जन्म से नहीं मिलता। मुस्लिम ला में संपत्ति का उत्तराधिकार पिता की मृत्यु के बाद बच्चों को मिलता है। अगर किसी बच्चे की मृत्यु पिता के जीवित रहते ही हो जाती है तो उसकी विधवा पत्नी और बच्चों का उत्तराधिकार समाप्त हो जाता है।
जस्टिस चौहान ने जागरण से विशेष बातचीत मे बताया कि अगर पिता स्वयं से वसीयत या दान के जरिये बेटे की विधवा और उसके बच्चों को संपत्ति में हिस्सा नहीं देता तो इस्लाम के कानून के मुताबिक उसे स्वत: संपत्ति पर उत्तराधिकार नही मिलेगा। आयोग ने इसी मुद्दे पर बोर्ड से सवाल किया है और उसकी राय पूछी है। इसके अलावा इस्लाम में मां को बच्चे का संरक्षक नहीं माना गया है। बच्चा सिर्फ दो वर्ष की आयु तक मां के साथ रह सकता है इसके बाद पिता ही उसका संरक्षक माना जाता है। इस्लाम मे बच्चा गोद लेने पर मनाही है, जबकि जुविनाइल जस्टिस एक्ट में मुस्लिम दंपति भी भाई का बच्चा गोद ले सकता है। आयोग इस सबका आधार जानना चाहता है।
इससे पहले समान नागरिक संहिता पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद, पूर्व मंत्री आरिफ मोहम्मद खान, जस्टिस बदर गुरेज अहमद और भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय मिल चुके हैं। आयोग ने उपरोक्त मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हुफेजा अहमदी, शेखर नाफड़े और वीएस पाटिल से भी शोध कर कानूनी आधार के साक्ष्य बताने को कहा है।