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Kulbhushan Jadhav Case: दुनिया के सामने बेनकाब हुआ पाकिस्तान का आतंकी चेहरा

Kulbhushan Jadhav Case कुलभूषण जाधव के मामले में दुनिया के सामने आतंकवाद का पालन-पोषण कर उन्हें खुला समर्थन देने वाली पाकिस्तानी सेना का चेहरा बेनकाब हो गया है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 04:20 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 09:41 PM (IST)
Kulbhushan Jadhav Case: दुनिया के सामने बेनकाब हुआ पाकिस्तान का आतंकी चेहरा
Kulbhushan Jadhav Case: दुनिया के सामने बेनकाब हुआ पाकिस्तान का आतंकी चेहरा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Kulbhushan Jadhav Case: आतंकवाद का पालन-पोषण कर उन्हें खुला समर्थन देने वाली पाकिस्तानी सेना का चेहरा कुलभूषण जाधव के मामले में एक बार फिर दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। है। जाधव पर हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आतंक का समर्थन पाकिस्तान की शासन की नीति का हिस्सा है।

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जाधव के मामले में पाक करतूतों की खुली पोल से यह बात भी साफ हो गई है कि आतंकवाद का समर्थन करने की अपनी नीति के तहत पाकिस्तानी सेना निर्दोष लोगों का अपहरण कर झूठे प्रचार करने से भी बाज नहीं आती। इतना ही नहीं दुनिया में उत्तर कोरिया के अलावा पाकिस्तान केवल दूसरा देश है जहां आतंकवाद, परमाणु तकनीक का चोरी-छुपे प्रसार और निर्दोष लोगों का अपहरण शासन की नीति का बुनियादी आधार है। 

नौसेना के पूर्व जांबाज अधिकारी जाधव के केस की अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान पाकिस्तान की ऐसी करतूतों का चिठ्ठा बीते दो-ढाई सालों में भारत ने कई बार दुनिया के सामने खोला। आतंक के अपने काले कारनामे छिपाने के लिए पाकिस्तान निर्दोष लोगों का अपहरण करने से भी बाज नहीं आता यह बात उसी समय जाहिर हो गई जब अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव को फांसी पर लटकाने के पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। वियना कन्वेंशन के तहत जाधव को काउंसलर एक्ससेस की मांग पर भी हेग कोर्ट ने मुहर लगा दी। पाकिस्तानी सेना की रणनीति को इस बात से भी तगड़ा झटका लगा जब अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय ने पाक मिलिट्री कोर्ट के पूरे ट्रायल प्रक्रिया को ही अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया।

जाधव के मामले में भारत ने इसकी शुरुआत 25 मार्च 2016 से ही साफ करना शुरू कर दिया कि पाक सेना ने भारतीय नौसेना के रिटायर अफसर का अपहरण कर उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देकर जबरन बयान दिलाया। कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की धुंआधार कोशिशों के चलते ही दिसंबर 2017 में जाधव का परिवार उसे मिलने पाकिस्तान जा सका। जाधव को फांसी देने की समयसीमा से ठीक पहले भारत ने अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाकर मजबूती से मुकदमे की पैरोकारी की। इसके लिए देश के शीर्ष नामी गिरामी कानूनविदों में शामिल हरीश साल्वे को केस की पैरवी के लिए उतारा। 

पाक के दावों की अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय में उन्होंने धज्जियां उड़ाई और इसी आधार पर जाधव को फांसी देने के आदेश पर आइसीजे ने रोक लगा दी। भारत का साफ कहना है कि कुलभूषण जाधव निर्दोष है और पाक सेना ने ईरान सीमा से उसका अपहरण किया। जाधव नौसेना से रिटायर होने के बाद ईरान में अपना कारोबार कर रहा था। जबकि, पाकिस्तान अभी तक जाधव के गिरफ्तारी के अपने दावे और परिस्थितियों का न कोई संतोषजनक उत्तर दिया है और न ही कोई सबूत।


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