Koo Studio चुनावी हलचल - पंजाब और उत्तराखंड में किस तरह के हैं राजनीतिक समीकरण, जनता ने किन मुद्दों पर दिए हैं वोट
पंजाब और उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के लिए मतदान हो गए हैं और अब यहां की जनता को नतीजों का इंतजार है। इन दोनों की राज्यों के अलग-अलग मुद्दे हैं। सभी पार्टियां इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करने का दावा कर रही हैं।
जब देश के किसानों की बात होती है, तो वहां पंजाब के किसानों का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बिना किसान पंजाब की राजनीति अधूरी है। इस बार के पंजाब के चुनाव में तीन कृषि कानूनों के मुद्दे को बहुत जोर शोर से उठाया गया। हालांकि, केंद्र सरकार ने किसानों के दबाव में आकर इस कानून को वापिस ले लिया है। किसान के अलावा पंजाब राज्य में नशे का मुद्दा काफी अहम मुद्दा है, हर राजनीतिक पार्टी यह दावा करती है कि वह पंजाब को नशे से मुक्त कर देगी, लेकिन सरकार में आने के बाद उनके दावे धरातल पर नहीं उतर पाते।
पंजाब में नशा और किसान के मुद्दे को प्रमुखता से उठाए जाते हैं। हालांकि, इस बार के चुनाव में हर किसी की नजर आम आदमी पार्टी पर टिकी हुई है। पार्टी ने पंजाब की जनता के सामने कई वादे किए हैं और दिल्ली में अपनी सरकार की मिसाल देकर वोट मांगा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने पंजाब में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। इस बार उम्मीद की जा रही है कि यह पार्टी और भी अच्छा प्रदर्शन करने जा रही है। पंजाब की तरह आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस वहां मजबूत स्थिति में है।
पंजाब और उत्तराखंड दोनों ही राज्यों में लोगों के अपने-अपने मुद्दे हैं। अब कौन सी पार्टी लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरती है, यह आने वाले 10 मार्च को पता चल जाएगा। पंजाब और उत्तराखंड चुनाव में किस तरह की सियासी हलचल चल रही है, इसकी अपडेट्स आप Koo Studio से जुड़कर प्राप्त कर सकते हैं। आज Koo Studio के खास प्रोग्राम चुनावी हलचल में Jagran New Media के एग्जक्यूटिव एडिटर और चुनावी विशेषज्ञ Pratyush Ranjan ने पंजाब और उत्तराखंड के चुनाव का सटीक विश्लेषण किया है।
इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल ने 2020 में तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी के साथ अपना 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया था। इसलिए इस बार यह देखना काफी रोचक होगा कि पंजाब में किस तरह के राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। साथ ही प्रदेश की कांग्रेस पार्टी में हो रहे अंतरकलह किसी से छिपी नहीं है। अब इसका असर पंजाब की कांग्रेस पार्टी पर कितना होगा यह नतीजे के दिन पता चल जाएगा। बात करें देव नगरी उत्तराखंड की तो यहां जनता के सामने महत्वपूर्ण मुद्दा रोजगार का है। यहां लोग रोजगार पाने के लिए बड़े शहरों के लिए पलायन कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि इसपर जल्द से उपाय तलाश करे।
दोनों राज्यों में सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर हमला कर रही हैं और इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। स्वदेशी ऐप Koo पर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना सांधते हुए नदी के पानी के मुद्दे पर उन्हें घेरा है।
View attached media content - Harsimrat Kaur Badal (@Harsimrat_Kaur_Badal) 3 Mar 2022
शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी केजरीवाल और उनकी पार्टी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। अब इनके आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है।
This is just the first shock of reality check to those who were foolish to trust Kejriwal’s promises on Bhullar and didn’t believe us on his anti-Sikh communal mindset. More shocks to AAP bhakts will follow soon as Kejriwal has filed suit against punjab on river waters. - Sukhbir Singh Badal (@sukhbir_singh_badal) 3 Mar 2022
नेताओं के साथ-साथ आम जानता ने भी पंजाब और उत्तराखंड चुनाव पर विभिन्न मुद्दों के साथ अपने विचार रखें हैं। जतिन ने पंजाब में नशे का मुद्दा उठाया है और कहा है कि पंजाब में राजनीतिक पार्टियां नशे के मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है। वह नहीं चाहती कि पंजाब की जनता को नशे से मुक्ति मिले।
उसी तरह उत्तराखड़ में अक्शित आहूजा ने राज्य में बढ़ रहे पलायन और रोजगार का मुद्दा उठाया है और सरकार से पलायन को रोकने के लिए ठोस उपाय अपनाने को कहा है।
इसके अतिरिक्त और भी कई लोगों ने माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप Koo पर पंजाब और उत्तराखड़ चुनाव के मुद्दे पर अपनी बात की है। साथ ही, Koo Studio चुनावी हलचल के इस एपिसोड में और भी कई महत्वपूर्ण राजनीतिक बिंदुओं पर चर्चा की गई है। जिसे आप यहां पर देख सकते हैं-
आप विभिन्न राज्यों के चुनावी हलचल का सटीक विश्लेषण देखने के लिए @dainikjagran को Koo ऐप पर फॉलो करें।