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जानिए क्या है रायसीना डायलॉग, 100 देशों के 700 से ज्यादा प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा

विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित तीन दिनों तक चलने वाले इस समारोह में 100 देशों के 700 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 09:38 PM (IST)
जानिए क्या है रायसीना डायलॉग, 100 देशों के 700 से ज्यादा प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा
जानिए क्या है रायसीना डायलॉग, 100 देशों के 700 से ज्यादा प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मंगलवार से कूटनीति का महाकुंभ रायसीना डायलॉग 2020 (Raisina Dialogue 2020) शुरू होने जा रहा है। विदेश मंत्रालय और आब्जर्वर फाउंडेशन की तरफ से आयोजित व तीन दिनों तक चलने वाले इस समारोह में 100 देशों के 700 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। पहली बार इस साल 12 देशों के विदेश मंत्री इसमें हिस्सा लेंगे जो वैश्विक कूटनीतिक पटल पर भारत की बढ़ती साख को भी बताता है।

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रूस, ईरान, आस्ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, एस्टोनिया, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, हंगरी, लाटविया, उज्बेकिस्तान और ईयू के विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे। जबकि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के महासचिव और अफगानिस्तान के एनएसए, अमेरिका के उप-एनएसए व कई देशों के उप-विदेश मंत्री भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली पहुंच रहे हैं।

पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

पीएम नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में शिरकत करेंगे। पीएम के अलावा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, हरदीप सिंह पुरी, वी.मुरलीथरन, जयंत सिन्हा के अलावा कांग्रेस सांसद स्वप्नदास गुप्ता, शशि थरूर, मनीष तिवारी आदि भी विभिन्न सत्रों में भाषण देंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक एक साथ इतने देशों के नेताओं का उपस्थित होना ही भारत की बढ़ती कूटनीतिक साख को बताता है।

इन विषयों पर होगी चर्चा

इस बार रायसीना डायलॉग के तहत जिन विषयों पर चर्चा आयोजित की जा रही है उसमें वैश्वीकरण, वर्ष 2030 का एजेंडा, आधुनिक विश्व में तकनीकी का महत्व, जलवायु परिवर्तन व आतंकवाद होगा।

कुल 80 सत्रों का आयोजन 

कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों को न्यूजीलैंड की पूर्व पीएम हेलेन क्लार्क, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, कनाडा के पूर्व पीएम स्टीफन हार्पर, स्वीडेन के पूर्व पीएम कार्ल बिड्ट, साउथ कोरिया के पूर्व पीएम हान सुंग सू संबोधित करेंगे। कुल 80 सत्रों का आयोजन होगा। जितने विदेश मंत्री व बड़े नेता भारत आ रहे हैं उनकी विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी अलग से मुलाकात होगी जिसमें द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी।


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