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Video: जानिये क्‍या था Article 370 और जम्‍मू-कश्‍मीर में इसके लागू होने, हटाए जाने के मायने

Article 370- तमाम लोग जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। आइये जानते हैं अनुच्छेद 370 क्‍या है और इसके लागू होने हटाए जाने के क्‍या मायने हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 11:33 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 08:31 AM (IST)
Video: जानिये क्‍या था Article 370 और जम्‍मू-कश्‍मीर में इसके लागू होने, हटाए जाने के मायने
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नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Article 370: जम्‍मू कश्‍मीर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया है। इसको लेकर सदन में काफी हंगामा भी हुआ है। आपको बता दें कि इस अनुच्छेद को लेकर काफी लंबे समय से खींचतान होती रही है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने अपने हितों के लिए कभी इस पर कोई कड़ा फैसला लेने की हिम्मत नहीं दिखाई। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इसको लेकर जो कदम बढ़ाया गया है उसके दूरगामी परिणाम भी सकारात्मक तौर पर सामने दिखाई देंगे। यहां पर ये सवाल काफी बड़ा है कि आखिर अनुच्छेद 370 है क्या, आईए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक 'अस्‍थायी प्रबंध' के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है। भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत जम्मू और कश्मीर को यह अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है।

- भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं। मिसाल के तौर पर 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।

- संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।

- जम्मू और कश्मीर के लिए यह प्रबंध शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में किया था। शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री महाराज हरि सिंह और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियुक्त किया था। तब शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए।

- उन्होंने राज्य के लिए कभी न टूटने वाली, 'लोहे की तरह स्वायत्ता' की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था।इस आर्टिकल के मुताबिक रक्षा, विदेश से जुड़े मामले, वित्त और संचार को छोड़कर बाकी सभी कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य से मंजूरी लेनी पड़ती है।

- राज्य के सभी नागरिक एक अलग कानून के दायरे के अंदर रहते हैं, जिसमें नागरिकता, संपत्ति खरीदने का अधिकार और अन्य मूलभूत अधिकार शामिल हैं। इसी आर्टिकल के कारण देश के दूसरे राज्यों के नागरिक इस राज्य में किसी भी तरीके की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।

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