Move to Jagran APP

जानिए, कश्मीर पर कैसे मिला सभी बड़े देशों का साथ, भारत ने कैसे बदला दुनिया का नजरिया

कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाने के फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत पर जो सुगबुगाहट हुई थी भारत को उन पर कूटनीतिक सफलता मिलती दिख रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 06:32 PM (IST)
जानिए, कश्मीर पर कैसे मिला सभी बड़े देशों का साथ, भारत ने कैसे बदला दुनिया का नजरिया
जानिए, कश्मीर पर कैसे मिला सभी बड़े देशों का साथ, भारत ने कैसे बदला दुनिया का नजरिया

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाने के फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत पर जो सुगबुगाहट हुई थी, भारत को उन पर कूटनीतिक सफलता मिलती दिख रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में से एक चीन को छोड़ कर अन्य सभी देश कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ खड़े हो गये हैं। यहां तक कि ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन की अगुवाई वाली नई सरकार का रुख भी अब बदला हुआ है और उसने भी कश्मीर पर चीन और पाकिस्तान के प्रलाप को मानने से मना कर दिया है।

loksabha election banner

अमेरिका और फ्रांस पहले की तरह अब भी भारत के साथ चट्टान की तरफ खड़े हैं। रूस भी अपने पारंपरिक मित्र भारत का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है। जर्मनी जैसे बड़े देश भी चीन और पाक की चाल को बखूबी समझने लगे हैं। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कश्मीर मुद्दे को उठाने की चीन व पाक की कोशिशें फिर से नाकाम हो गई हैं।

 चीन और पाक के गठबंधन को मात देने में जुटे भारतीय कूटनीतिकार

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक अगस्त, 2019 में अनुच्‍छेद 370 हटाने के तुरंत बाद ही यूएनएससी में चीन इस मुद्दे को ले गया था। उस समय बाकी चार स्थाई सदस्य देशों के रुख और अब इन देशों के रुख में काफी बदलाव आ गया है। भारत ने जिस तरह से पिछले तीन-चार महीनों में कश्मीर में शांति बहाल कर रखी है और अब धीरे धीरे वहां हालात को सामान्य किया जा रहा है, उससे विदेशी राजनयिकों को समझाने में काफी मदद मिली है। हाल ही में विदेशी राजनयिकों के दल को कश्मीर ले जाने का भी असर हुआ है। साथ ही जिस तरह से वैश्विक अस्थिरता का एक दौर चल रहा है उसमें कोई भी देश यह नहीं चाहता कि दक्षिण एशिया में तनाव और बढ़े।

कश्मीर पर चर्चा करने के लिए UNSC उचित मंच नहीं

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक, यूएनएससी के अधिकांश सदस्यों का यह कहना है कि कश्मीर पर चर्चा करने के लिए यह उचित मंच नहीं है, अपने आप में भारत के पक्ष का समर्थन है। पाकिस्तान की तरफ से आधारहीन आरोप लगाने को दुनिया नहीं मान रही है। पाकिस्तान को यह शायद यह अब महसूस हो कि अगर भारत के साथ उसकी कोई समस्या है तो उसका समाधान द्विपक्षीय वार्ता से ही हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को अभी भी यह बात समझ में आ रही है।

इमरान खान ने अपनी जनता के सामने पेश किया उल्‍टा पक्ष

जब संयुक्त राष्ट्र में उनकी बात का समर्थन पुराने मित्र राष्ट्र चीन के अलावा और किसी ने नहीं की, फिर भी इमरान खान ने अपनी जनता के सामने ही हकीकत से उल्टा पक्ष पेश करने की कोशिश की। उन्होंने यह दावा किया है कि यूएनएससी में कश्मीर पर चर्चा हुई है और वह उसका स्वागत करते हैं।

यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि ''परिषद ने यह मान लिया है कि कश्मीर एक गंभीर मुद्दा है जिसका समाधान परिषद के संबंधित प्रस्तावों और कश्मीरी जनता के इच्छा के मुताबिक होनी चाहिए। पाकिस्तान कश्मीर की जनता को वैचारिक, राजनीतिक और कूटनीतिक मदद मुहैया कराता रहेगा।'' जबकि हकीकत यह है कि यूएनएससी के जिस बैठक का वह दावा कर रहे हैं, उसकी तरफ से न तो इसकी पुष्टि की गई है और न ही कोई बयान दिया गया है।

इमरान को भी एससीओ सम्मेलन का न्योता देगा भारत, आने के आसार नहीं

नई दिल्ली, आइएएनएस। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के इस साल के आखिर में नई दिल्ली में होने वाले शीर्ष सम्मेलन के लिए भारत पाकिस्तान समेत सभी आठ सदस्य देशों, चार पर्यवेक्षक देशों और अन्य अंतरराष्ट्रीय वार्ता साझीदारों को न्योता देगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हालांकि निमंत्रण के बावजूद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के इस सम्मेलन में आने की संभावना नहीं है। 

इस्लामाबाद में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इमरान खान अपने स्थान पर सम्मेलन में किसी जूनियर मंत्री या विदेश मंत्री को भेज सकते हैं। इसकी वजह यह है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आए तनाव के चलते उन्हें अपनी भारत यात्रा को जायज ठहरा पाना बेहद मुश्किल होगा।बता दें कि एससीओ में चीन, रूस, किर्गिस्तान, कजाखिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान सदस्य देश हैं। चीन की अध्यक्षता में 2001 में इस संगठन की स्थापना हुई थी और तीन साल पहले ही इसमें भारत-पाकिस्तान को शामिल किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.