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गोरखपुर उपचुनावः 29 साल के इस नौजवान ने ढहाया 29 साल पुराना भाजपा का किला

प्रवीण ने ग्रेटर नोएडा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। नौकरी के दौरान ही उन्होंने सिक्किम मनीपाल यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से एमबीए किया।

By Arti YadavEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 01:15 PM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 02:40 PM (IST)
गोरखपुर उपचुनावः 29 साल के इस नौजवान ने ढहाया 29 साल पुराना भाजपा का किला
गोरखपुर उपचुनावः 29 साल के इस नौजवान ने ढहाया 29 साल पुराना भाजपा का किला

नई दिल्ली, (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के उप-चुनाव में सपा को मिली जीत ने पार्टी को एक नई आशा दी है और भाजपा को एक सबक। इस जीत के हीरो हैं प्रवीण निषाद। किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि प्रवीण गोरखपुर सीट से पिछले 29 साल से जारी भाजपा के वर्चस्व को तोड़ एक नया चेहरा बनेंगे। प्रवीण निषाद का यह पहला चुनाव था और उन्होंने पहली बार में ही भाजपा के चारों खाने चित कर दिए। शायद उन्होंने खुद भी कभी कल्पना नहीं की होगी कि वह गोरखपुर के सांसद बन पाएंगे।

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गोरखपुर लोकसभा सीट पर 29 सालों के बाद पहली बार कोई गोरक्षा धाम मठ से बाहर का व्यक्ति सांसद बना है। पांच बार से योगी आदित्यनाथ यहां से सांसद बनते रहे, उससे पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ इस सीट का प्रतिनिधित्व किया करते थे, लेकिन अब उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत के साथ ही प्रवीण कुमार निषाद गोरखपुर के सांसद बन गए है।

मैकेनिकल इंजीनियर हैं प्रवीण निषाद

संतोष उर्फ प्रवीण कुमार निषाद गोरखपुर के कैम्‍पियरगंज क्षेत्र के रहने वाले हैं। गोरखपुर के नए सांसद की उम्र केवल 29 वर्ष है। प्रवीण निषाद ने पहली बार समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा। प्रवीण ने एनएनआईटी ग्रेटर नोएडा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। नौकरी के दौरान ही उन्होंने सिक्किम मनीपाल यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से एमबीए किया।

कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं

प्रवीण द्वारा जमा किए गए हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है और उनके पास कोई भी जमीन नहीं है। प्रवीण ने नामांकन के दौरान जमा शपथपत्र में कुल 11 लाख रुपये की संपत्ति दिखाई है। जिसमें उन पर 99 हजार रुपये का कर्ज भी है। प्रवीण की पत्नी रितिका सरकारी नौकरी करती हैं। प्रवीण और रितिका को एक बेटा और एक बेटी भी है।

विरासत में मिली राजनीति

राजनीति प्रवीण के लिए नई नहीं है, यह उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है। उनके पिता डॉ. संजय निषाद राष्ट्रीय निषाद पार्टी के संस्थापक थे। साल 2013 में उन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया था। वर्ष 2009 से 2013 तक उन्होंने राजस्थान के भिवाड़ी में एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की थी, लेकिन उनको यह रास नहीं आया और वह वापस गौरखपुर लौट आए और अपने पिता की पार्टी में शामिल हो गए। उस वक़्त प्रवीण कुमार निषाद उस पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे।

राजनीति में आने के बाद प्रवीण निषाद लगातार सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। इसी कारण गोरखपुर में उन्होंने खुद की पहचान बनाई। गोरखपुर उपचुनाव की सुगबुगाहट के बाद उनके पिता ने सपा से तालमेल किया। निषाद समाज में पैठ के कारण प्रवीण को सपा ने टिकट दिया।

प्रवीण निषाद ने 21961 मतों से हासिल की जीत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव में भाजपा चित हो गई। गोरखपुर में भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ल को सपा के प्रवीण निषाद ने 21961 मतों से हराया। प्रवीण को गोरखपुर के उपचुनाव में कुल 4,56,513 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ल को 4,34,625 वोट मिले। फूलपुर में भाजपा के कौशलेंद्र पटेल को सपा के नागेंद्र पटेल ने 59613 मतों से हरा दिया। वहीं अररिया सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सरफराज आलम ने 61988 मतों से जीत हासिल की है।

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