खट्टर और फडणवीस के पीछे खड़े होकर पीएम मोदी- अमित शाह ने दिया बड़ा संदेश
प्रधानमंत्री की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि कभी मंत्री का भी पद न संभालने वाले प्रशासनिक अनुभव से दूर रहे फडणवीस और खट्टर ने पांच साल तक साफ सुथरी सरकार दी।
आशुतोष झा, नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा में अपेक्षाओं के मुताबिक जीत हासिल न होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जिस तरह देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर के पीछे खड़े हुए, उसे बड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी तीसरी पंक्ति में खड़े नेताओं को साफ संदेश दिया गया है कि पार्टी में उसे अहमियत मिलेगी जो न सिर्फ ईमानदार और कर्मठ हो बल्कि जो अपनी यह छवि बरकरार रखना भी जानता हो। आने वाले वक्त में दूसरे राज्यों में भी ऐसे नेतृत्व को खड़ा करने की कोशिश हो सकती है।
तीन दिन पहले जब दोनों राज्यों का नतीजा आया था तो पार्टी के अंदर भी ऐसे नेताओं की कमी नहीं थी जो हरियाणा में सरकार से थोड़ी दूर और महाराष्ट्र में पिछली बार से कमतर प्रदर्शन को लेकर निराश नहीं थे। बल्कि अंदर खुशी भी थी। कुछ ऐसे नेता भी थे जो इसे दोनों राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन की आहट के रूप में देख रहे थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अध्यक्ष अमित शाह की ओर से खुलकर दोनों नेताओं की पीठ थपथपाई गई।
फडणवीस और खट्टर ने दी साफ सुथरी सरकार
प्रधानमंत्री की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि कभी मंत्री का भी पद न संभालने वाले प्रशासनिक अनुभव से दूर रहे फडणवीस और खट्टर ने पांच साल तक साफ सुथरी सरकार दी। जिस तरह केंद्र में मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं है उसी तरह इन दोनों राज्यों में भी मुख्यमंत्री ने अपना दामन बचाए रखा है। इनके राज्यों में जरूर कई विवाद खड़े हुए लेकिन ये दोनों नेता उससे बाहर रहे।
यह सच है कि दोनों मुख्यमंत्री संबंधित प्रदेशों में प्रभावी जाति से नहीं आते हैं। और इसी कारण कहीं न कहीं एक दबाव समूह भी काम करता रहा है। मराठा और जाट आंदोलन के दौरान इन्हें बदलने की अटकलें भी चलती रहीं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि मुख्यमंत्री के तौर पर कम संख्या वाली जाति से आने वाले मुख्यमंत्री कई राज्यों में हैं। खासकर भाजपा इसी नुस्खे पर काम करती रही है।
रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान लंबे समय तक रहे मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने रमन सिंह को कमान दी थी, तो मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान लंबे समय तक भाजपा के सफल मुख्यमंत्री रहे। गुजरात में विजय रूपाणी पर नेतृत्व का भरोसा है। इनमे से कोई भी प्रदेश की प्रभावी जाति से नहीं आते हैं। यहां तक कि कांग्रेस ने भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में यही दांव चला है। ऐसे में हरियाणा और महाराष्ट्र में जाट या मराठा की राजनीति से भाजपा बहुत आशंकित नहीं है। यह और बात है कि महाराष्ट्र में फडणवीस से मराठा आरक्षण की आग को थाम लिया था और हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को साथ लाकर जाट समुदाय के बीच संदेश दे दिया गया है।
बहरहाल, खट्टर और फडणवीस का संदर्भ इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि आने वाले वक्त में कई राज्यों में भी दूसरी तीसरी पंक्ति के नेताओं को खड़ा करना है। उनके लिए पहली योग्यता ईमानदारी होगी और दूसरी योग्यता अनुशासन। आगे बढ़ने वाले नेताओं में यह झलक जरूरी होगी कि वह नेता ही नहीं कार्यकर्ता भी हैं।
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