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सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जताया विरोध

नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने के बाद भी देश के कई हिस्‍सों में इसका विरोध जारी है। मंगलवार को केरल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना विरोध दर्ज कराया।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 09:46 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 12:06 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जताया विरोध
सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जताया विरोध

नई दिल्‍ली, माला दीक्षित। नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) लागू किए जाने के बाद भी देश के कई हिस्‍सों में इसका विरोध जारी है। इस क्रम में केरल सरकार (Kerala Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में मंगलवार को याचिका दाखिल कर नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी है। उन्‍होंने अपनी याचिका में कहा है, ‘कानून धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है।’ बता दें कि केरल पहला राज्य है जिसने CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। केरल सरकार ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ मामला दाखिल किया है।

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याचिका के अनुसार, यह कानून भेदभाव वाला और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।  इसके साथ ही केरल सरकार ने इस कानून को रद करने की मांग की है। इनका कहना है कि यह अनुच्‍छेद 14,21 और 25 का उल्‍लंघन करता है।

इससे पहले सोमवार को ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के विधायकों व नेताओं ने असम विधानसभा के सामने अपना विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया था। उल्‍लेखनीय है कि यह कानून संसद के दोनों सदनों से 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया जिसे 10 जनवरी 2020, रविवार को देशभर में लागू कर दिया गया।

1955 में आए नागरिकता कानून को संशोधित किया गया है। संशोधित कानून के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 को और उससे पहले भारत आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धर्मों के अल्पसंख्यकों को घुसपैठिया नहीं माना जाएगा और उन्‍हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। उल्‍लेखनीय है कि नागरिकता कानून 1955 के अनुसार, अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता पाने का कोई हक नहीं था।  लेकिन संशोधित कानून का कहना है कि छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल तक भारत में रहने के बाद यहां की नागरिकता दे दी जाएगी। अब तक यह समयसीमा 11 साल की थी।

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