कश्मीर में अनुच्छेद 35ए को लेकर राज्यपाल शासन ने रूख किया स्पष्ट
राज्यपाल शासन के प्रवक्ता और वरिष्ठ नौकरशाह रोहित कंसल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस अनुच्छेद पर सरकार का रवैया वही रहेगा जो 11 फरवरी की सुनवाई में रहा था।
एजेंसी, जम्मू। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल शासन ने स्पष्ट किया है कि अनुच्छेद 35ए को लेकर कोई भी फैसला राज्य की निर्वाचित सरकार ही करेगी। इस बारे में नई सरकार ही सुप्रीम कोर्ट में इस विवादित अनुच्छेद को लेकर कोई राय पेश करेगी।
राज्यपाल शासन के प्रवक्ता और वरिष्ठ नौकरशाह रोहित कंसल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस अनुच्छेद को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार का रवैया वही रहेगा जो 11 फरवरी की सुनवाई में रहा था।
कंसल से पूछा गया था कि क्या राज्यपाल शासन ने विवादित मसले पर राय बदल ली है? बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इससे संबंधित याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करने वाली है। 11 फरवरी को जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील शोएब आलम ने शीर्ष अदालत से कहा था कि चूंकि मामला संवेदनशील है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। इसलिए नई सरकार बनने तक इस मामले में सुनवाई स्थगित रखी जाए। इस बारे में एक पत्र पर सभी पक्षकारों की सहमति लेने का वह प्रयास कर रहे हैं।
35ए से छेड़छाड़ के बाद प्रतिक्रिया पर कश्मीर के लोगों को दोष न दे केंद्र : महबूबा
जम्मू : पीडीपी की प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि अनुच्छेद 370 और 35-ए के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ जम्मू कश्मीर के भारत के साथ हुई विलय संधि को ही खत्म कर देगी। धारा 370 जम्मू कश्मीर को केंद्र के साथ संवैधानिक रूप से जोड़ती है। 35ए भी इससे जुड़ा हुआ है।
रविवार को ट्वीट कर महबूबा ने कहा कि इस समय कश्मीर में अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर तनाव है। केंद्र सरकार इस पर कोई भी फैसला करने से पहले यह सोच ले कि जम्मू कश्मीर ही एक ऐसा राज्य था जोकि मुस्लिम बहुल होने के बावजूद पाकिस्तान के स्थान पर भारत के साथ मिला। महबूबा ने कहा कि अगर राज्य के विशेष दर्जे के साथ कोई खिलवाड़ होता तो इसके बाद कश्मीर में होने वाली प्रतिक्रिया पर वहां के लोगों को दोष न दिया जाए।