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दक्षिण भारत पर 6 दशकों तक राज करने वाले करुणानिधि का विवादों से रहा गहरा नाता

सितंबर, 2007 में करुणानिधि ने कहा था कि, यह राम कौन हैं? ये कौन से इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई करके सिविल इंजीनियर बने?

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 10:19 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 12:35 AM (IST)
दक्षिण भारत पर 6 दशकों तक राज करने वाले करुणानिधि का विवादों से रहा गहरा नाता
दक्षिण भारत पर 6 दशकों तक राज करने वाले करुणानिधि का विवादों से रहा गहरा नाता

नई दिल्ली, जेएनएन। अपनी निजी जिंदगी से लेकर राजनीति में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों के चलते करुणानिधि विवादों से घिरे रहे। जयललिता के साथ उनकी दुश्मनी भी उनके राजनीतिक सफर के साथ चलती रही। इसके बाद भी वह न सिर्फ तमिल राजनीति बल्कि देश की मुख्यधारा की राजनीति का भी प्रमुख चेहरा रहे।

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राम सेतु पर बयान

सितंबर, 2007 में करुणानिधि ने कहा था कि, यह राम कौन हैं? ये कौन से इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई करके सिविल इंजीनियर बने? इन्होंने ये सेतु कब बनाया? क्या इसका कोई प्रमाण है? उनके बयान ने बड़ा बवाल बचा दिया। भाजपा नेता रवि शंकर प्रसाद ने उन पर धार्मिक भेदभाव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, हम जानना चाहते हें कि क्या करुणानिधि किसी और धर्म के प्रमुख लोगों के बारे में ऐसी कोई टिप्पणी करेंगे? संभावनाएं हैं कि वे नहीं करेंगे।

लिट्टे के साथ संबंध

राजीव गांधी की हत्या के मामले की जांच करने वाले जस्टिस जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में करुणानिधि पर आरोप लगाया कि उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) की मदद की। अंतरिम रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि और डीएमके पार्टी को राजीव गांधी के हत्यारों के सहयोग के लिए गुनाहगार माना जाए। हालांकि अंतिम रिपोर्ट में उन पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगा। अप्रैल, 2009 में एक इंटरव्यू में करुणानिधि ने कहा कि, प्रभाकरण मेरा करीबी दोस्त है। साथ ही यह भी कहा कि भारत राजीव गांधी की हत्या करने के लिए लिट्टे को कभी माफ नहीं कर सकता है।

वंशवाद के हिमायती

तमिलनाडु की राजनीति में करुणानिधि का कद बहुत बड़ा था। इसका फायदा उठाते हुए उन्होंने अपने सगे-संबंधियों के लिए राजनीति के रास्ते खोले। उनके विरोधी और उन्हीं की पार्टी के कई नेताओं ने उनके खिलाफ आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बेटे एमके स्टालिन को पार्टी में आगे बढ़ाया।

विधानसभा में जयललिता का अपमान

यह तमिलनाडु की राजनीति की सबसे शर्मनाक घटना है। 25 मार्च, 1989 को तमिलनाडु विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री करुणानिधि बजट पेश करने वाले थे। सभा में जयललिता विपक्ष की नेता के तौर पर मौजूद थीं। दोनों पार्टियों के बीच खींचतान लंबे समय से चल रही थी। विधानसभा में दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे। इसी दौरान करुणानिधि की पार्टी डीएमके के नेताओं ने उनकी साड़ी पकड़ कर ऐसे खींची कि वह फट गई। जयललिता ने आरोप लगाया था कि उन पर वार भी किया गया।


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