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अटलजी के नाम पर राजनीति से क्षुब्ध और व्यथित हूं: करुणा शुक्ला

करुणा शुक्ला ने कहा कि वह अटलजी की मृत्यु के बाद भाजपा की राजनीति से क्षुब्ध हैं। भाजपा जिस तरह से उनके नाम पर राजनीति कर रही है, उससे व्यथित भी हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 08:06 AM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 08:06 AM (IST)
अटलजी के नाम पर राजनीति से क्षुब्ध और व्यथित हूं: करुणा शुक्ला
अटलजी के नाम पर राजनीति से क्षुब्ध और व्यथित हूं: करुणा शुक्ला

नई दुनिया, रायपुर। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी व भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं करुणा शुक्ला ने कहा कि वह अटलजी की मृत्यु के बाद भाजपा की राजनीति से क्षुब्ध हैं। भाजपा जिस तरह से उनके नाम पर राजनीति कर रही है, उससे व्यथित भी हैं।

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उन्होंने कहा कि पिछले दस साल से अटल बिहारी वाजपेयी को भाजपा के परिदृश्य से पूरी तरह से गायब कर दिया गया था। इस दौरान जिन राज्यों में चुनाव हुए, वहां अटलजी का नाम लेना तो दूर, किसी पोस्टर या बैनर तक में उनकी तस्वीर नहीं लगाई गई। इस साल कुछ राज्यों में चुनाव होना है और भाजपा की नैय्या डूबती दिख रही है तो अचानक भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी तिनके का सहारा दिखने लगे हैं।

शुक्ला का कहना है कि नया रायपुर से लेकर विश्वविद्यालय का नाम अटल बिहारी वाजपेयी रखने का फैसला राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है, इसके पहले दस साल में कितनी बार राज्य सरकार ने अटल को याद किया, यह बताए। प्रदेश की जनता आडंबर को समझ रही है। अटलजी की प्रतिमाएं लगाने का कारण सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति है। शुक्ला का यह भी कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी तक कितने आत्मीय संबंध रहे हैं, यह इतिहास में दर्ज है, लेकिन भाजपा मानवीय संबंधों का सम्मान करना भूल चुकी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता का पार्टी में हो रहा अपमान है।


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