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Karnataka Political Crisis: कर्नाटक में सिर्फ 3 मुख्‍यमंत्री ही पूरा कर पाएं हैं 5 साल का अपना कार्यकाल

कर्नाटक का राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो इसमें कुछ भी नया नहीं है। कर्नाटक में सियासी उठापटक का दौर शुरुआत से रहा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 09:59 AM (IST)
Karnataka Political Crisis: कर्नाटक में सिर्फ 3 मुख्‍यमंत्री ही पूरा कर पाएं हैं 5 साल का अपना कार्यकाल
Karnataka Political Crisis: कर्नाटक में सिर्फ 3 मुख्‍यमंत्री ही पूरा कर पाएं हैं 5 साल का अपना कार्यकाल

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। कर्नाटक में सियासी नाटक का आखिरकार लंबे समय के बाद अंत हो गया। कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली एचडी कुमारस्‍वामी की सरकार गिर गई। हालांकि, राजनीति के जानकारों की मानें तो कुमारस्‍वामी की सरकार की उल्‍टी गिनती पहले दिन से ही शुरू हो गई थी। वैसे कर्नाटक का राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें, तो इसमें कुछ भी नया नहीं है। कर्नाटक में सियासी उठापटक का दौर शुरुआत से रहा है। यही वजह रही है कि यहां भाजपा और जेडीएस के मुख्‍यमंत्री कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। कर्नाटक में सिर्फ कांग्रेस पार्टी भाग्‍यशाली रही है, जिसके तीन मुख्‍यमंत्रियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया है। इसके अलावा किसी भी पार्टी का मुख्‍यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया।

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कर्नाटक में पिछले कई दिनों से चल रहा ड्रामा आखिरकार खत्‍म हो गया और बहुमत परीक्षण में 14 माह पुरानी कुमार स्‍वामी सरकार गिर गई। गठबंधन सरकार के पक्ष में जहां 99 वोट पड़े और सरकार के विपक्ष में 105 वोट पड़े। बसपा के विधायक ने विश्‍वास मत प्रस्‍ताव में हिस्‍सा नहीं लिया। वहीं भाजपा के एक विधायक भी इस मौके पर अनुप‍स्थित थे। विधायकों के इस्‍तीफे से शुरू हुआ राजनीतिक ड्रामा आखिरकार सरकार के गिरने से पहुंच गया। बहुमत खाने के बाद कुमारस्‍वामी ने अपना इस्‍तीफा राज्‍यपाल वजुभाई वाला को सौंप दिया है।

इससे पहले कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें, तो एस निजलिंगप्पा (1962-68), डी देवराजा उर्स (1972-77) और सिद्धारमैया (2013-2018) ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है। बता दें कि यह तीनों ही कांग्रेस के नेता हैं। भाजपा, जेडीएस या किसी अन्‍य पार्टी का कोई भी मुख्‍यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। पहली बार भाजपा नीत गठबंधन सरकार में कुमारस्वामी दो साल से भी कम समय तक फरवरी, 2006 से अक्टूबर 2007 तक मुख्यमंत्री रहे थे। उनका सत्ता साझेदारी को लेकर भाजपा से मतभेद हो गया और उन्होंने राज्य में भगवा पार्टी नीत सरकार का समर्थन करने से इनकार कर दिया।

येद्दयुरप्‍पा तीन बार बने सीएम, नहीं कर पाए कार्यकाल पूरा

भाजपा के मामले में बीएस येदियुरप्पा 2007 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह 7 दिन तक ही पद पर रहे क्योंकि जदएस ने समर्थन वापस ले लिया था और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। मई, 2008 में येद्दयुरप्‍पा की अगुवाई में भाजपा ने राज्य में एतिहासिक जीत दर्ज की और वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि, कथित भ्रष्टाचार के चलते उन्हें जुलाई, 2011 में कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। मुख्यमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 2018 में महज छह दिन 17 मई, से लेकर 23 मई रहा और उन्होंने बहुमत के अभाव में इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक 1956 में बना था। तब से राज्य ने 25 मुख्यमंत्री देखें जिनमें ज्यादातर कांग्रेस से थे।

यह सोचना जरूरी है कि लगभग डेढ़ साल तक चली सरकार ने यहां तक पहुंचने के लिए कितना समझौता किया होगा। पर यह कहना उचित नहीं होगा कि ड्रामा खत्म हो गया। अभी एक पार्ट खत्म हुआ है, अब देखना है कि आगे की राजनीति किस करवट बैठती है। क्या भाजपा सरकार बनाने की कोशिश करेगी? भाजपा नेता बीएस येद्दयुरप्पा क्या आखिरी पारी खेल पाएंगे? गेंद राज्यपाल के पाले में है और काफी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जानी है।


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