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गोहत्या रोकने के लिए कर्नाटक में भी अध्यादेश, राज्यपाल ने दी मंजूरी, सख्त सजा व जुर्माने का प्रावधान

अध्यादेश में गोधन की हत्या करने पर तीन से सात साल की सजा और 50 हजार से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दोबारा अपराध करने पर सात साल की सजा और एक लाख से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 10:56 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 10:59 PM (IST)
गोहत्या रोकने के लिए कर्नाटक में भी अध्यादेश, राज्यपाल ने दी मंजूरी, सख्त सजा व जुर्माने का प्रावधान
गौ हत्या करने वालों को दी जागएी सख्त सजा

बेंगलुरु, प्रेट्र। कर्नाटक ने भी मंगलवार को गोहत्या विरोधी अध्यादेश लागू कर दिया। इसमें गोहत्या करने वालों के लिए सख्त सजा और उन्हें बचाने वालों के लिए संरक्षण का प्रावधान किया गया है। राज्य कैबिनेट ने पिछले हफ्ते कर्नाटक 'प्रिवेंशन आफ स्लाटर एंड प्रिजर्वेशन आफ कैटल आर्डिनेंस-2020' जारी करने का फैसला किया था जिसे अब राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। इससे पहले कुछ अन्य राज्य भी ऐसे ही कानून ला चुके हैं।

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अध्यादेश में गोधन की हत्या करने पर तीन से सात साल की सजा और 50 हजार से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दोबारा अपराध करने पर सात साल की सजा और एक लाख से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसमें 'कैटल' को सभी उम्र की गाय, गाय के बछड़े, बैल, सांड़ और 13 साल से कम उम्र की नर और मादा भैंस के रूप में परिभाषित किया गया है। जबकि बीफ को किसी भी रूप में कैटल के मांस के रूप में परिभाषित किया गया है।

भैंसों के मांस के उपभोग पर नहीं होगा प्रतिबंध

राज्य सरकार पहले ही कह चुकी है कि इस अध्यादेश के प्रभावी होने पर प्रदेश में गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। हालांकि राज्य में स्लाटर हाउसेज (बूचड़खानों) का संचालन जारी रहेगा और भैंसों के मांस के उपभोग पर प्रतिबंध नहीं होगा क्योंकि सक्षम प्राधिकारी के सत्यापन से 13 साल से अधिक उम्र की नर व मादा भैंस की हत्या पर प्रतिबंध नहीं है। अध्यादेश में बेहद बीमार, संक्रामक रोगों से पीडि़त या प्रायोगिक व शोध के उद्देश्य से गोधन के वध की छूट दी गई है। इसके अलावा अध्यादेश के तहत सक्षम प्राधिकारी या इसके तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा, अभियोजन या कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकेगी।

बता दें कि सरकार को इस संबंध में अध्यादेश का मार्ग इसलिए अपनाना पड़ा क्योंकि 'कर्नाटक प्रिवेंशन आफ स्लाटर एंड प्रिजर्वेशन आफ कैटल बिल' को कांग्रेस के कड़े विरोध के बीच पिछले महीने विधानसभा ने तो पारित कर दिया था, लेकिन यह अभी तक विधान परिषद से पारित नहीं हो सका है। बिल सदन में पेश करने से पहले ही विधान परिषद अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई थी। विधानसभा में बिल पेश करने से पहले कानून के क्रियान्वयन के संबंध में जानकारी जुटाने के लिए राज्य के पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान ने अपने अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश और गुजरात का दौरा भी किया था।


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