Karnataka Floor Test: विश्वास मत पर ड्रामा, सदन स्थगित, गवर्नर को देना पड़ा निर्देश
कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा गुरुवार को विधानसभा में पेश विश्वास प्रस्ताव पर जमकर ड्रामा हुआ।
बेंगलुरु, प्रेट्र। Karnataka Floor Test: कर्नाटक में 14 महीने पुरानी कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार की विदाई करीब आ गई है। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा गुरुवार को विधानसभा में पेश विश्वास प्रस्ताव पर जमकर ड्रामा हुआ। इस दौरान गठबंधन के 15 बागी विधायकों के अलावा कांग्रेस के दो और विधायक सदन से अनुपस्थित रहे। साथ ही समर्थक दल बसपा का एक विधायक और दोनों निर्दलीय विधायक भी सदन में नहीं आए।
लिहाजा कांग्रेस विधायक लगातार कार्यवाही में व्यवधान डालते रहे और सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित हो गई। विरोध स्वरूप भाजपा विधायकों ने रातभर सदन में धरना देने का एलान किया। अब प्रस्ताव पर शुक्रवार को मतदान होने की संभावना है। कर्नाटक के राज्यपाल ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को पत्र लिखा कि कल 1.30 बजे तक विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करें।
लंबी जद्दोजहद के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विधानसभा में एक पंक्ति का विश्वास प्रस्ताव 'यह सदन 14 माह पुरानी मेरी सरकार में विश्वास प्रकट करता है' पेश किया। इसके बाद उन्होंने अपना भाषण शुरू किया और विपक्षी भाजपा को जमकर आड़े हाथों लिया। वहीं, भाजपा नेता येद्दयुरप्पा ने कहा कि कुमारस्वामी सरकार विश्वास खो चुकी है।
येद्दयुरप्पा बोले- एक दिन में हो मतदान, कुमारस्वामी बोले- जल्दी में हैं येद्दयुरप्पा
कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास मत पेश करते हुए कहा, चूंकि बागी विधायकों ने साझा सरकार को लेकर देशभर में शंकाएं प्रकट की हैं इसलिए सचाई पेश करना जरूरी है। पूरा देश कर्नाटक के इस घटनाक्रम को देख रहा है। विधायकों ने इस्तीफे में सिर्फ एक लाइन लिखी है कि उनका इस्तीफा वास्तविक और स्वैच्छिक है। लेकिन
सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कहा है कि राज्य भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। कुमारस्वामी के भाषण के बीच ही विपक्ष के नेता बीएस येद्दयुरप्पा खड़े हुए और स्पीकर से कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक दिन में ही पूरी होनी चाहिए। इस पर कुमारस्वामी ने तंज किया, 'विपक्ष के नेता जल्दी में दिखाई देते हैं।'
रेड्डी कांग्रेस खेमे में लौटे तो पाटिल बीमार हो गए
कांग्रेस को गुरुवार को आंशिक राहत उस वक्त मिली जब 15 बागियों के इस्तीफों से पहले ही पार्टी छोड़ चुके विधायक रामलिंगा रेड्डी उसके खेमे में लौट आए। वहीं पार्टी को तब झटका लगा जब उसके विधायक श्रीमंत पाटिल सदन में दिखाई नहीं दिए।
बाद में पता चला कि सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें मुंबई में भर्ती कराया गया है। बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं पहुंचे। महेश ने बताया कि उन्हें बसपा प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला, इसलिए वह नहीं गए। कुल 20 विधायक पहले दिन विधानसभा से गायब रहे।
राज्यपाल ने स्पीकर से कहा था पहले ही दिन कराएं वोटिंग
सत्तारूढ़ कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार के इरादे भांपकर भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल वजुभाईवाला से मुलाकात की और मांग की कि वह स्पीकर रमेश कुमार को गुरुवार को ही वोटिंग कराने का निर्देश दें। स्पीकर ने बताया कि उन्हें राज्यपाल ने मतदान गुरुवार को ही कराने की सलाह दी है।
हालांकि देर शाम तक बहस चलने के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दिन में ही भाजपा नेताओं ने आशंका प्रकट की थी कि कुमारस्वामी सरकार अंतिम समय की जोड़तोड़ जारी रखने के लिए बहस को लंबा खींच सकती है। यही बात उन्होंने राज्यपाल से भी कही थी।
सरकार के खिलाफ हैं आंकड़े
1. चूंकि जदएस गठबंधन के 15 विधायक इस्तीफे दे चुके हैं और एक बीमार हो गए हैं इसलिए उनकी सदन में ताकत घटकर 101 रह गई है।
2. 224 सदस्यीय विधानसभा में मौजूद विधायकों की संख्या 16 कम होकर 208 रह जाएगी।
3. दो निर्दलीय विधायकों ने मंत्री पद छोड़कर भाजपा को समर्थन का एलान किया है।
4. ऐसे में वोटिंग होने पर 208 सदस्य यदि मतदान करेंगे तो बहुमत 105 पर मिलेगा।
5. चूंकि कांग्रेस-जदएस के 101 सदस्य रह गए हैं और भाजपा नीत विपक्ष के 105 और दो निर्दलीय विधायक मिलाकर 107 हो गए हैं, इसलिए विश्वास मत पर सरकार का गिरना तय है।