Karnataka News: कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने हेडगेवार के भाषण को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने का किया बचाव, कांग्रेस पर बोला हमला
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने RSS के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार (Keshav Baliram Hedgewar) के भाषण को 10वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने के राज्य सरकार के फैसले का बचाव किया है। साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर निशाना भी साधा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh, RSS) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार (Keshav Baliram Hedgewar) के भाषण को 10वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने के राज्य सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा।
बीसी नागेश (BC Nagesh) ने कहा कि कांग्रेस ने एक ऐतिहासिक अध्याय को हटाते हुए पंडित नेहरू से उनकी बेटी को पत्राचार को कोर्स में शामिल किया था। हमने एक ऐसे व्यक्ति (Keshav Baliram Hedgewar) के भाषण को शामिल किया है जिसने देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया और सब कुछ बलिदान कर दिया।
उन्होंने (Keshav Baliram Hedgewar) करोड़ों लोगों को प्रेरित किया। ब्रह्मचर्य का जीवन व्यतीत किया। यदि पाठ्य सामग्री मुद्दा है तो हम इस बारे में उनसे (कांग्रेस) बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन कांग्रेस हिंदुत्व से डरती है। वे हिंदू समाज को विभाजित देखना चाहते हैं, ताकि उन्हें वोट मिल सके।
इससे पूर्व कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) ने कहा था कि पाठ्यपुस्तक में हेडगेवार या संघ (RSS) के बारे में कोई सामग्री नहीं है। पाठ्यपुस्तक में केवल हेडगेवार के भाषण को शामिल किया गया है ताकि युवाओं को प्रेरणा मिल सके। पाठ्यपुस्तक का अध्ययन नहीं करने वाले लोग ही आपत्ति जता रहे हैं।
बीते दिनों बीसी नागेश ने कहा था कि कुछ लोग हर चीज पर आपत्ति जताना चाहते हैं। वे सोचते हैं कि जो कुछ भी वह बोल रहे हैं, बस वही सत्य है। इस भाषण में हेडगेवार ने समाज और राष्ट्र के महत्व के बारे में बात की है। उन्होंने मूल्यों और सिद्धांतों की बात की है। फिर इसमें गलत क्या है...?
उल्लेखनीय है कि कनार्टक सरकार की गठित पाठ्यक्रम समीक्षा समिति ने कन्नड़ की कक्षा दस की किताब में भगत सिंह के अध्याय को हटाने का फैसला लिया था। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक उनकी जगह 'स्वदेशी सूत्रदा सरला हब्बा' के लेखक शिवानंद कालवे के पाठ को लेने का फैसला किया गया था। हालांकि बाद में फैसले की आलोचना पर सरदार भगत सिंह के पाठ को किताब में फिर से शामिल कर लिया गया है।