महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर कपिल सिब्बल ने केंद्र पर साधा निशाना, कहा- नहीं है 'शाह' जैसा अनुभव
कांग्रेस नेता ने कहा महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। उन्हें चार दिनों में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए कहना चाहिए था।
नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुरुवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र की आलोचना की। सिब्बल ने एएनआई को महाराष्ट्र में Horse-Trading(हॉर्स ट्रेडिंग का मतलब हार्ड बार्गिनिंग (सौदेबाजी) से होता है।) को स्पष्ट करते हुए कहा, 'मेरे पास केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसा अनुभव नहीं है। उन्हें सरकारों को तोड़ने का भारी अनुभव है। हमने गोवा और कर्नाटक में देखा है कि उन्होंने कैसे सरकारें बनाई हैं।'
इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि हम इसमें विशेषज्ञ नहीं हैं। यह अमित शाह को पता है कि विधायकों को कैसे और कहां रखना है, किस होटल को बुक करना है। हम अपनी चिंता व्यक्त करते हैं क्योंकि हमने अतीत में उनके आचरण को देखा है। सिब्बल ने आगे भाजपा और शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को दी गई समय सीमा में अंतर को भी निशाने पर लिया।
कांग्रेस नेता ने कहा, 'महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। उन्हें चार दिनों में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए कहना चाहिए था। लेकिन उन्होंने हमें इतने लंबे समय तक इंतजार कराया फिर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। सिर्फ 14-18 घंटे का समय दिया गया, गलत था।'
सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, जिसमें 17 अयोग्य विधायकों को कर्नाटक के उपचुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है, उन्होंने कहा, 'शीर्ष अदालत के फैसले के बाद, इसका मतलब यह नहीं है कि हॉर्सट्रेडिंग नहीं थी वहां। उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए और नागरिकों को तय करना चाहिए कि क्या गलत और सही है।' उन्होंने आगे कहा कि अगर कर्नाटक के नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो इसके पीछे कुछ कारण तो जरूर है।
विपक्षी दलों को सरकार बनाने की खुली छूट
महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के बाद से अब तक मचे राजनीतिक घमासान और बयानों के बीच बुधवार को भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बयान सामने आया। आरोप लगाया जा रहा है कि राज्यपाल ने शिवसेना,कांग्रेस और एनसीपी पर्याप्त वक्त नहीं दिया। इसपर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि अगले छह महीने में राष्ट्रपति शासन के दौरान कोई भी दल कभी भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। चुनाव परिणाम आने के बाद नई शर्ते जोड़ने के लिए शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि इस पर पार्टी उचित समय पर निर्णय लेगी।
उन्होंने आगे कहा कि राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन का फैसले सही था। उन्होंने कहा कि विधानसभा की अवधि खत्म होने के बाद नौ नवंबर से वहां देवेंद्र फडणवीस की कामचलाऊ सरकार चल रही थी। यदि लंबे समय तक इसे रखा जाता है कि भाजपा पर बिना संख्या बल के सरकार चलाने का आरोप लगता। राष्ट्रपति शासन लगने से असली नुकसान तो भाजपा और देवेंद्र फडणवीस का हुआ है कि हमारी कामचलाऊ सरकार भी चली गई।