Move to Jagran APP

कमल नाथ ने कहा- सरकार में लौटे तो आदिवासियों के लिए रोजगार की योजनाएं बनाएंगे

अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि सरकार में लौटे तो आदिवासियों के रोजगार की योजनाएं बनाएंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 10:08 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 10:08 PM (IST)
कमल नाथ ने कहा- सरकार में लौटे तो आदिवासियों के लिए रोजगार की योजनाएं बनाएंगे
कमल नाथ ने कहा- सरकार में लौटे तो आदिवासियों के लिए रोजगार की योजनाएं बनाएंगे

आयोजन -कांग्रेस ने किया आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वेबिनार

loksabha election banner

-कार्यक्रम में विचार केवल पार्टी नेताओं ने ही रखे

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर कांग्रेस ने रविवार को अपनी पार्टी के विधायकों, नेताओं और आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वेबिनार आयोजित किया। इसमें नेताओं के भाषण हुए, लेकिन आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों को विचार रखने का मौका ही नहीं दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि सरकार में लौटे तो आदिवासियों के रोजगार की योजनाएं बनाएंगे। इन योजनाओं से आदिवासियों के रोजगार की व्यवस्था हो सकेगी। कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों और विधायकों ने कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में आदिवासी समाज के लिए हुए कामों को गिनाया।

भाजपा ने आदिवासियों में फूट डालकर राज किया 

पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि भाजपा ने आदिवासियों में फूट डालकर राज किया। जनजातियों को लड़वाया तो कमल नाथ ने सबको एक करने के लिए आदिवासी शब्द से ही पहचान लौटाई। सुरेंद्र सिंह हनी बघेल ने कमल नाथ सरकार ने आदिवासियों के गौरव बिरसा मुंडा व टंट्या भील के नाम से उद्वहन सिंचाई योजनाएं बनाकर क्षेत्र में पानी की समस्या को दूर किया।

आदिवासियों के सामने वनाधिकार पट्टे की बड़ी समस्या, साढ़े तीन लाख आदिवासियों के पट्टे खारिज

कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा कि आदिवासियों के सामने वनाधिकार पट्टे की बड़ी समस्या है। साढ़े तीन लाख आदिवासियों के पट्टे खारिज हो चुके हैं और उन्हें पट्टे देने के काम की गति इतनी धीमी है कि अब तक पट्टे की प्रक्रिया में एक हजार लोगों के आवेदन ही लिए गए हैं। श्रोता बन बैठे रहे कई संगठनों के प्रतिनिधि वरिष्ठ विधायक कांतिलाल भूरिया, झूमा सोलंकी व अशोक मर्सकोले को ही वेबिनार में बोलने का मौका मिला। जयस, आदिवासी समाज संगठन और कोरकू समाज संगठन जैसे आदिवासियों के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि केवल श्रोता बनकर रह गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.