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जेपी नड्डा की राजनीति में एक अलग पहचान, जानिए एबीवीपी से लेकर पार्टी अध्यक्ष बनने तक का सफर

जेपी नड्डा ने भले ही राजनीति की शुरूआत पटना से की हो लेकिन राजनीति की कर्मभूमि अपने पैतृक राज्य हिमाचल प्रदेश को ही बनाया

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 06:07 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 06:50 AM (IST)
जेपी नड्डा की राजनीति में एक अलग पहचान, जानिए एबीवीपी से लेकर पार्टी अध्यक्ष बनने तक का सफर
जेपी नड्डा की राजनीति में एक अलग पहचान, जानिए एबीवीपी से लेकर पार्टी अध्यक्ष बनने तक का सफर

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। पटना में जन्मे और जेपी आंदोलन से राजनीति का ककहरा सीखने वाले जेपी नड्डा ने भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष बनने से पहले लंबा राजनीतिक सफर तय किया। मृदुभाषी नड्डा 1990 में भाजपा में शामिल होने के पहले 15 सालों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहकर छात्र राजनीति से जुड़े रहे। पार्टी की गुटबाजी से दूर एक संगठनकर्ता के रूप में नड्डा के अनुभवों को देखते हुए 2010 में उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।

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भाजपा के भरोसेमंद नेताओं में नड्डा की गिनती

एक मेहनतकश संगठनकर्ता होने के साथ-साथ जेपी नड्डा की गिनती भाजपा के भरोसेमंद नेताओं में भी होती है, जो अपनी जिम्मेदारी को पूरी सिद्दत के साथ निभाते हैं। उनकी विश्वसनीयता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2014 में केंद्र में सरकार गठन के बाद एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में नड्डा को स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी।

वहीं, दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी उन्हें पार्टी की संसदीय दल के सदस्य सचिव के पद पर बरकरार रखा। सामान्य तौर पर संसदीय दल के सदस्य सचिव की जिम्मेदारी पार्टी के किसी महासचिव को दी जाती है, लेकिन कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी नड्डा इस पद पर बने रहे।

अमित शाह ने अध्यक्ष के रूप में नड्डा को चुना

यही नहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी संभालने और ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले अमित शाह ने अध्यक्ष के रूप में 2019 में इसके लिए जेपी नड्डा को चुना। यही कारण है कि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही साफ हो गया था कि अध्यक्ष की जिम्मेदारी उन्हीं को सौंपी जाएगी।

पटना और हिमाचल में की पढ़ाई

जेपी नड्डा ने भले ही राजनीति की शुरूआत पटना से की हो, लेकिन राजनीति की कर्मभूमि अपने पैतृक राज्य हिमाचल प्रदेश को ही बनाया। पटना कालेज से स्नातक की पढ़ाई के बाद वापस हिमाचल प्रदेश आए और हिमाचल विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई शुरू की और 1983 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। विद्यार्थी परिषद के संगठनमंत्री के रूप में काम करते हुए 1985 से 1989 के दौरान दिल्ली में छात्र आंदोलनों से जुड़े रहे। बाद में राष्ट्रीय महामंत्री की जिम्मेदारी भी निभाई।

1990 में बने हिमाचल प्रदेश के संगठन मंत्री

30 साल की उम्र में 1990 में भारतीय जनता पार्टी में आने के बाद जेपी नड्डा को हिमाचल प्रदेश में संगठन मंत्री बनाया गया और अगले साल भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन गए। भाजपा में आते ही नड्डा को राष्ट्रीय स्तर पर अहम जिम्मेदारियां संभालने का मौका मिला। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा को युवाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

हिमाचल के बिलासपुर से बने विधायक

चुनावी राजनीति में जेपी नड्डा का पदार्पण 1993 में हुआ और हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से विधायक चुने गए। विधायक रहते हुए नड्डा नेता प्रतिपक्ष से लेकर सरकार कैबिनेट मंत्री के रूप में स्वास्थ्य व परिवार कल्याण व संसदीय कार्य मंत्रालय का कार्यभार संभाला।

पहली बार दिल्ली आकर भाजपा अध्यक्ष की कमान संभालने वाले नितिन गडकरी ने जेपी नड्डा को राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी और हिमाचल प्रदेश के मंत्री पद से त्यागपत्र देकर राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण किया। इसके बाद महासचिव के रूप में उन्होंने कई राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।


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