प्रियंका गांधी के स्टीमर के काफिले में गंगा के बीच में फंसे पत्रकार, फिर क्या हुआ
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की गंगा यात्रा की कवरेज के लिए लखनऊ और दिल्ली से आए कई पत्रकारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
प्रयागराज, जेएनएन। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की गंगा यात्रा की कवरेज के लिए लखनऊ और दिल्ली से आए कई पत्रकारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पहले तो मनैया घाट पर कवरेज के लिए उन्हें स्टीमर नहीं मिला। जब प्रियंका का स्टीमर आगे बढ़ गया तो किसी तरह एक स्टीमर की व्यवस्था की गई। उस पर 50 से ज्यादा लोग सवार हो गए, जिसमें कांग्रेस के नेता भी थे।
ऐसे में ओवरलोड होने से स्टीमर कुछ दूर जाकर नदी में फंस गया। पिछले चार दिनों में, जब से कांग्रेस ने घोषणा की थी कि प्रियंका वाड्रा लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रयागराज से वाराणसी तक जलमार्ग से करेंगी। इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि मीडिया कवरेज के लिए अलग से व्यवस्था होगी। लेकिन प्रियंका के कार्यक्रम और स्टीमर की अनुमति के लिए ही पार्टी को तीन दिन लग गए। मनैया घाट पर सोमवार दोपहर स्थानीय के साथ ही नेशनल, इंटरनेशनल मीडिया कर्मी कवरेज को पहुंचे थे। ऐसे में उनके लिए व्यवस्था नहीं होने से मीडिया के लोगों ने इस पर नाराजगी जताई।
इस पर एक अतिरिक्त स्टीमर का इंतजाम किया गया। लेकिन यह स्टीमर के चलते ही चालक ने चिल्लाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि कम से कम 20 लोगों को उतरना पड़ेगा। सर्वसम्मति बनी कि सभी कांग्रेस नेता नाव से उतरेंगे। तब तक प्रियंका का स्टीमर काफी दूर जा चुका था। इसके बाद मीडिया का स्टीमर आगे बढ़ा, मगर परेशानी खत्म नहीं हुई थी।
जब स्टीमर नदी के बीच में पहुंचा, तो इंजन बंद हो गया। विदेशी प्रकाशन के एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्या यह सुरक्षित है तो अन्य पत्रकारों ने फोन करना शुरू किया। पांच मिनट के बाद स्टीमर वाले ने बताया कि रेत में फंस गए हैं क्योंकि जलस्तर कम है।
कहा गया कि स्टीमर आगे नहीं बढ़ेगा और फिर पत्रकारों को वापस घाट पर ले जाने के लिए दूसरी नाव बुलवाई गई। आधे घंटे बाद छोटी नाव आई और फिर पत्रकार उस पर सवार होकर घाट पर गए।