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जावडेकर ने कहा- दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा में सुधार, फिर भी पराली का जलना समस्या है

दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा के बीच केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार दावा किया कि दिल्ली के हवा की गुणवत्ता पहले के मुकाबले सुधरी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 09:24 PM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 09:24 PM (IST)
जावडेकर ने कहा- दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा में सुधार, फिर भी पराली का जलना समस्या है
जावडेकर ने कहा- दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा में सुधार, फिर भी पराली का जलना समस्या है

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा के बीच केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार दावा किया कि दिल्ली के हवा की गुणवत्ता पहले के मुकाबले सुधरी है। हालांकि उन्होंने पराली जलाने को अभी भी समस्या बताया है। साथ ही पराली को लेकर दिल्ली सहित चारों पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की अगले हफ्ते तक बैठक बुलाने की बात कही है।

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हवा की गुणवत्ता में सुधार

जावडेकर ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ने का यह सिलसिला 2006 से शुरु हुआ था, जिस पर 2014 तक कोई ध्यान नहीं दिया गया। 2014 में हमने इस दिशा में काम शुरु किया। जिसका परिणाम है, कि हवा की गुणवत्ता में सुधार दिखने लगा है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है, कि 2016 में वायु की गुणवत्ता के लिहाज से जहां 108 अच्छे दिन थे, जो 2018 में 159 दिन और 2019 में अब तक 165 दिन रहे है।

पराली जलाने की घटनाओं में कमी

वहीं पराली जलाने की घटनाओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछले सालों में इनमें कमी आयी है। इस बार फिर और कमी दिखेगी। इस दिशा में पंजाब और हरियाणा में बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है। किसानों को इसके लिए मशीनें उपलब्ध कराई गई है। बता दें कि 2017 के मुकाबले 2018 में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 11 फीसद और हरियाणा में करीब 30 फीसद की कमी दर्ज हुई थी। केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान अप्रैल 2020 से बीएस-6 वाहनों के संचालन का दावा भी किया है।

केजरीवाल पर कसा तंज, कहा- काम करे कोई टोपी पहने कोई

केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वायु की गुणवत्ता में सुधार के दावों पर तंज कसा और कहा कि मैंने फैक्ट रखे हैं, किसने क्या किया इससे साफ है, फिर भी कुछ लोगों की फितरत होती है। मैं तूतू-मैंमैं नहीं करता। यह तो ठीक वैसे ही है, जैसे काम करे कोई और टोपी पहने कोई।हालांकि उन्होंने कहा कि हम इनमें नहीं पड़ता चाहते हैं, हम प्रदूषण से लड़ रहे हैं, किसी व्यक्ति से नहीं। हम सभी से मिलकर प्रदूषण से लड़ने की बात करते हैं।


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