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जम्मू कश्मीर : महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी प्रतिनिधिमंडल की मीटिंग रद, बाद में होगी मुलाकात

पीडीपी ने महबूबा मुफ्ती के साथ आज होने वाली प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात को रद कर दिया है। अब ये मुलाकात बाद में होगी।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 07:27 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 07:39 AM (IST)
जम्मू कश्मीर : महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी प्रतिनिधिमंडल की मीटिंग रद, बाद में होगी मुलाकात
जम्मू कश्मीर : महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी प्रतिनिधिमंडल की मीटिंग रद, बाद में होगी मुलाकात

श्रीनगर, एएनआइ। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) ने महबूबा मुफ्ती के साथ होने वाली आज की मुलाकात रद कर दी है। महबूबा मुफ्ती फिलहाल हिरासत में हैं और उनसे मिलने के लिए पीडीपी का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जाने वाला था, लेकिन इस बैठक को रद कर दिया गया है।

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पीडीपी के नेता फिरदौस टाक ने ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने लिखा- 'पीडीपी जम्मू ने पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती से मुलाकात के लिए अपने नेताओं के निर्धारित कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला किया है।'  इस बैठक की घोषणा रविवार को हुई थी। नेशनल कॉन्फेंस के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को पार्टी प्रमुख फारुक अब्दुल्ला और नेता उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की।

इससे पहले पीडीपी नेता फिरदौस टाक ने कहा था, 'हमने राज्यपाल से अनुरोध किया था कि वे हमें अपनी पार्टी की प्रमुख(महबूबा मुफ्ती) से मिलने की अनुमति दें। हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया गया। हम मुफ्ती के साथ जम्मू-कश्मीर से संबंधित मौजूदा स्थिति और हर दूसरे मुद्दे पर चर्चा करेंगे। इसको दो महीने हो चुके हैं और पार्टी के अन्य नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है।'

आपको बता दें, केंद्र सरकार ने दो महीने पहले अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को रद करने का निर्णय लेने के बाद, इस इलाके में संचार सेवाओं पर रोक लगा दी और कई नेताओं को नजरबंद कर दियाष इन नेताओं में  नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती शामिल थे।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्ती की बेटी इल्तिजा को जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में कर्फ्यू के बीच उनकी मां से मिलने के लिए चेन्नई से श्रीनगर की यात्रा करने की अनुमति दी थी। अपनी दलील में, इल्तिजा ने कहा था कि वह अपनी मां के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित है क्योंकि धारा 370 के निरस्त होने के एक महीने बाद तक वह उससे नहीं मिली थी।

चूंकि राजनीतिक दलों ने राज्यपाल सत्य पाल मलिक और केंद्र को इन नेताओं को नजरबंद करने के लिए भारी ठहराया, इसलिए राजभवन ने कहा कि इस तरह के फैसले स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा लिए जाते हैं और राज्यपाल की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

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