जम्मू-कश्मीर: राष्ट्रपति शासन में आतंकवाद पर लगी लगाम, बैंक के घोटालों का भी हुआ पर्दाफाश
जम्मू कश्मीर में हवाला की राशि से आतंकवाद व पत्थरबाजी को बढ़ावा मिलता है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन में हवाला फंडिंग को निशाना बनाकर अलगाववादियों पर सीधा निशाना साधा गया।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के छह महीने भले ही देशविरोधी तत्वों व अलगाववादियों के लिए कठिन रहे हों, लेकिन भेदभाव का शिकार होने वाले जम्मू व लद्दाख के हितों का इस दौरान संरक्षण हुआ। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी शह पर जारी आतंकवाद, अलगाववाद के साथ राष्ट्रपति शासन में भ्रष्टाचार पर भी शिकंजा कसा गया। भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो, बनाया गया।
लद्दाख को डिवीजन बनाकर क्षेत्र की दशकों पुरानी मांग पूरी करने के साथ अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले जम्मू कश्मीर बैंक में घोटालों का भी पर्दाफाश हुआ। राष्ट्रपति शासन में बैंक की कमियों को उजागर करने की दिशा में कार्रवाई हुई। इस दौरान दशकों से ठंडे बस्ते में पड़े आइबी पर रहने वाले लोगों के मसले भी हल हुए। नियंत्रण रेखा की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को भी नौकरियों, प्रोफेशनल कालेजों में आरक्षण देने की शुरुआत भी राष्ट्रपति शासन में ही हुई।
पहले राज्यपाल फिर राष्ट्रपति शासन
राज्य में 19 दिसंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन की छह माह की अवधि समाप्त होने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। गत वर्ष भाजपा-पीडीपी सरकार गिर जाने के बाद राज्य में 19 जून से राज्यपाल शासन लागू करना पड़ा था। इस दौरान राज्य के बिगड़े हालात में विधानसभा चुनाव संभव न पाने के कारण छह माह बाद राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा था।
117 आतंकी मार गिराए
राज्य में राष्ट्रपति शासन में राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म होने के कारण देशविरोधी तत्वों से निपटने की सेना, सुरक्षाबलों की मुहिम को पूरा समर्थन मिला। ऐसे में पुलवामा हमले व उसका बदला लेने के लिए पाकिस्तान के बालाकोट में सीधी कार्रवाई के चलते राष्ट्रपति शासन के दौरान चले आपरेशन ऑल आउट में अब तक 117 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया।
अलगाववादी रहे निशाने पर
यह जगजाहिर है कि जम्मू कश्मीर में हवाला की राशि से आतंकवाद व पत्थरबाजी को बढ़ावा मिलता है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन में हवाला फंडिंग को निशाना बनाकर अलगाववादियों पर सीधा निशाना साधा गया। ऐसे में कड़े फैसले करते हुए जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट व जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया गया। खुद को कानून से उपर समझने वाले अलगाववादियों के घरों पर छापे मारने के साथ सभी प्रमुख अलगाववादियों शब्बीर शाह, आसिया अंद्राबी, मुसर्रत आलम, यासिन मलिक आदि को गिरफ्तार कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया।
लद्दाख बना तीसरा डिवीजन
राष्ट्रपति शासन में जम्मू व लद्दाख की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विकास को तेजी देने के साथ कई बड़े फैसले भी हुए। दशकों के लंबे संघर्ष के बाद लद्दाख को जम्मू कश्मीर का तीसरा डिवीजन बनाने का फैसला भी राष्ट्रपति शासन में हुआ। राज्य में 52 डिग्री कालेज, लद्दाख में क्लस्टर यूनिवर्सिटी, 5 मेडिकल कालेज बनाने का फैसला भी राष्ट्रपति शासन में ही हुआ। इसके साथ पंचायत के दूसरे टियर में ब्लाक डेवेलपमेंट काउंसिल के लिए चुनाव करवाने का अहम फैसला भी किया गया।
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