Move to Jagran APP

Jammu Kashmir DDC Elections : मतगणना आज, सुरक्षा के पुख्‍ता बंदोबस्‍त, कश्मीरियों में दशकों बाद किसी चुनाव में दिखा ऐसा जोश

जम्‍मू-कश्‍मीर में जिला विकास परिषद की 280 सीटों के हुए चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी। जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के पहली बार चुनाव हुए हैं। इन चुनावों के दौरान मतदात को लेकर कश्मीरियों के उत्‍साह ने बता दिया है कि वे बदलाव चाहते हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 12:25 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 01:30 AM (IST)
Jammu Kashmir DDC Elections : मतगणना आज, सुरक्षा के पुख्‍ता बंदोबस्‍त, कश्मीरियों में दशकों बाद किसी चुनाव में दिखा ऐसा जोश
जम्‍मू-कश्‍मीर में जिला विकास परिषद की 280 सीटों के हुए चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी।

विवेक सिंह, जम्मू। जम्‍मू-कश्‍मीर में जिला विकास परिषद की 280 सीटों के हुए चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी। सभी जिला मुख्यालयों पर मतगणना के लिए प्रबंध किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के पहली बार चुनाव हुए हैं। आठ चरण में हुए चुनाव की शुरुआत 28 नवंबर से हुई थी और 19 दिसंबर को आठवां व अंतिम चरण संपन्न हुआ। जिला विकास परिषद के चुनाव के साथ पंचायतों के उपचुनाव भी हुए हैं लेकिन पंचायतों में सरपंचों और पंच हलकों का चुनाव परिणाम उसी दिन शाम को घोषित कर दिया गया था।

loksabha election banner

नतीजों पर सियासी दलों की नजरें

जिला विकास परिषद के चुनाव राजनीतिक आधार पर हुए हैं, इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियों की नजरें नतीजों पर टिकी हैं। पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन ने भी चुनाव में हिस्सा लिया है। इसमें नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कांफ्रेंस, अवामी नेशनल कांफ्रेंस, माकपा शामिल थे। भाजपा ने अकेले ही चुनाव लड़ा है। प्रचार में भाजपा ने सारी ताकत झोंकी थी।

कश्मीरियों में दशकों बाद दिखा ऐसा जोश

माइनस सात डिग्री तापमान, कड़ाके की ठंड, बर्फबारी, सीमापार से गोलाबारी, आतंकी हमले और मुठभेड़ें.., लेकिन इन सबके बीच कश्मीर की जनता घरों से निकली, लाइनों में लगी और मतदान किया। कश्मीर में दशकों बाद किसी चुनाव में ऐसा जोश और जज्बा दिखा। यही वजह है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहले जिला विकास परिषद चुनावों के आठ चरणों में हुए इस मतदान के नतीजों पर पूरे मुल्‍क की नजर होगी।

दहशतगर्दों को दिया मुंहतोड़ जवाब

जनता ने दशहत की परवाह न कर मतदान केंद्रों की तरफ रुख किया। सुरक्षाबल की मुस्तैदी ने भी इनके इस जज्बे को कम नहीं पड़ने दिया। नवंबर के दूसरे पखवाड़े में कश्मीर में ठंड बढ़ने के साथ ही चुनावी सरगर्मी बढ़ चली थी। गुपकार गैंग लोकतंत्र के उत्सव में भागीदारी को लेकर असमंजस में दिखा। मैदान में कूदा जरूर पर उसके बड़े चेहरे जनता के बीच जाने का साहस नहीं जुटा पाए।

बदलाव चाहती है आवाम

बांडीपोरा, कुपवाड़ा, बड़गाम और बारामुला में सबसे अधिक मतदान हुआ। ये सभी क्षेत्र आतंकग्रस्त क्षेत्र में शुमार हैं। अधिकांश कश्मीरी मतदाताओं ने यही कहा कि इस बार वह बदलाव चाहते हैं। 70 साल से उन्हें मूर्ख बनाया जाता रहा और अब जब सरकार ने उन्हें यह सुनहरा मौका दिया है तो वे पीछे नहीं हटना चाहेंगे।

इन संभाग में 80 फीसद से अधिक मतदान

जम्मू संभाग में पुंछ और राजौरी जिले में भी रिकॉर्ड मतदान हुआ। यहां छह चरणों में 80 फीसद से अधिक मतदान हुआ। रात को सरहद पार से गोलाबारी होती, पर सुबह बेखौफ होकर लोग मतदान केंद्रों में पहुंचते। पुंछ के दबरोज मनकोट की 95 वर्षीय फिरोज कहती हैं कि पाकिस्तान आए दिन हमारे क्षेत्र में गोलाबारी करता है। काफी नुकसान होता है। हमारा गांव पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए मतदान करने पहुंचा।

बर्फ में पैदल चलकर लोगों ने डाले वोट

विकास की उम्मीद लिए रफियाबाद के हमाम और मारकूट के नूर खान परिवार के लोग करीब चार फीट बर्फ में पैदल चलकर वोट डालने पहुंचे। उनका कहना था कि उनका गांव सात दशक से विकास की राह ताक रहा है। कई सरकारें आईं और गईं पर गांव की सड़कें आज भी वैसी हैं। इसलिए बर्फबारी के बावजूद परिवार सहित वोट डालने पहुंचे।

पुलवामा में भी लोकतंत्र के लिए जमकर वोट

जिस पुलवामा में कभी आतंकवादियों के फरमान पर लोग चुनाव से दूर रहते थे, वहां लोग बर्फीली ठंड में भी मतदान को आए। पुलवामा में आतंकी कमांडर बुरहान वानी का ददसारा गांव अब आतंकवाद मुक्त है। इस गांव से बंदूक उठाने वाले 49 आतंकी मारे गए हैं। ब्लॉक से भाजपा उम्मीदवार अल्ताफ ठाकुर का कहना है कि कश्मीर के लोग भय के माहौल को छोड़ विकास के दौरे में सुकून भरी जिंदगी जीना चाहते हैं, इसलिए खुलकर आगे आए।

50 फीसद के पार रहा औसत मतदान

प्रदेश में 20 जिलों में 288 सीट पर मतदान हुआ। 144 जम्मू और 144 सीट पर कश्मीर में। 28 नवंबर से 19 दिसंबर तक मतदान प्रक्रिया जारी रही। 12 लाख लोगों ने कड़ाके की ठंड के बीच मतदान केंद्रों पर पहुंच कर वोट डाले। सभी चरणों का मतदान फीसद 51.48 रहा। इसके लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी मतदाताओं को बधाई देते हुए कहा कि कड़ाके की ठंड में मतदाताओं ने विकास के लिए अपना जज्बा दिखाया।

यह है नया कश्मीर

सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एवं रक्षा विशेषज्ञ अनिल गुप्ता कहते हैं कि कश्मीर में आतंकवादियों पर भारी दवाब बनाकर चुनाव के लिए सुरक्षित माहौल बनाया गया। उनके द्वारा चुनाव में खलल डालने की तमाम कोशिशें हुईं, लेकिन मंसूबे नाकाम रहे। अब कश्मीर में आतंक खत्म होने के कगार पर है।

भाजपा ने नहीं छोड़ी कोई कसर

भाजपा की ओर से इन चुनावों के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अनुराग के अनुसार भाजपा ने राज्य में 30 दिनों में 450 कार्यक्रम (रैलियां, सभाएं इत्यादि) किए। इनमें से 200 कार्यक्रम कश्मीर में किए गए। वहीं, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ने कश्मीर में 50 कार्यक्रम किए। निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी खूब प्रचार किया। हालांकि सात दशक तक कश्मीर में राज करने वाली राजनीतिक पाíटयों ने जमीनी स्तर पर प्रचार नहीं किया।

बड़े नेताओं के फोटो रहे नदारद

राजनीतिक विश्‍लेषक हरिओम कहते हैं कि कश्मीर में स्वायत्तता, स्वशासन जैसे एजेंडे लेकर चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दल इस चुनाव में लोगों के बीच जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। इन दलों ने भविष्य बचाने के लिए समझौता कर पीपुल्स अलायंस फार गुपकार के बैनर तले चुनाव तो लड़ा पर मैदान में नहीं गए। कश्मीर में इन दलों के उम्मीदवारों के पोस्टरों में भी बड़े-बड़े नेताओं के फोटो नदारद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.