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Jamaat-e-Islami पर प्रतिबंध से ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर भी नाखुश, कहा- कठिन समय में किया काम

जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) पर प्रतिबंध का विरोध पूरे जम्मू जम्मू कश्मीर में हो रहा है। इसे लेकर अब ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर ने भी नाखुशी जाहिर की है।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 12:06 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 12:06 PM (IST)
Jamaat-e-Islami पर प्रतिबंध से ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर भी नाखुश, कहा- कठिन समय में किया काम
Jamaat-e-Islami पर प्रतिबंध से ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर भी नाखुश, कहा- कठिन समय में किया काम

श्रीनगर, एएनआइ। जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) पर प्रतिबंध का विरोध पूरे जम्मू जम्मू कश्मीर में हो रहा है। इसे लेकर अब ट्रेडर्स एसोसिएशन कश्मीर ने भी नाखुशी जाहिर की है। इस एसोसिएशन के सदस्य बशीर अहमद ने कहा कि जमात पर प्रतिबंध स्वीकार्य नहीं है। यह एक धार्मिक संगठन है, जिसने कश्मीर के लिए कठिन परिस्थितियों में भी काम किया है। इसने उन क्षेत्रों में 400 स्कूल बनवाए हैं, जहां सरकार स्कूलों का निर्माण करने में सक्षम नहीं है, उन्होंने मस्जिदों का भी निर्माण किया है। 

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बता दें कि केंद्र ने गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी पर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत पांच साल के लिए रोक लगा दी। प्रतिबंध इस आधार पर लगाया गया कि संगठन आतंकवादी समूहों के साथ संपर्क में है और राज्य में अलगाववादी आंदोलन को तेज कर सकता है।

इसे लेकर वादी में शनिवार को रैलियां निकली। नेशनल कांफ्रेंस ने केंद्र से राज्य में राजनीतिक सुलह-संवाद व शांति का माहौल बनाने का आग्रह किया और जमात पर लगाए प्रतिबंध को हटाने की मांग की।

नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व स्पीकर मुबारक गुल के नेतृत्व में नेकां कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय से जुलूस निकाला। सभी ने जमात से प्रतिबंध को हटाने व राज्य संविधान में छेड़खानी के खिलाफ नारेबाजी कर की और स्वायतता बहाली की मांग की। नेकां नेता मुबारक गुल ने श्रीनगर में रैली में कहा कि हम एक जम्हूरी मुल्क में रहते हैं, यहां हर विचारधारा को सम्मान दिया जाता है। जमात पर पाबंदी लोकतंत्र की भावना को नुकसान पहुंचाना है। इस फैसले से यहां के लोगों में केंद्र के प्रति गुस्सा भड़केगा। केंद्र जमात नेताओं की गिरफ्तारियां बंद करे और जमात पर लगी पाबंदी भी हटाए।

उन्होंने कहा कि रियासत के विशेष दर्जे को भी खत्म करने की साजिश हो रही है। इसी के तहत केंद्र ने 1954 के संवैधानिक आदेश में संशोधन किया है। हम किसी को अपनी ऑटोनामी और पहचान से खिलवाड़ की इजाजत नहीं देंगे। प्रधानमंत्री को समझना चाहिए कि वह कश्मीर में अपनी मर्जी नहीं थोप सकते। अगर वह कश्मीर व कश्मीरियों के हमदर्द हैं तो उन्हें रियासत के विशेष दर्जे से छेड़खानी नहीं करनी चाहिए।


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