जेटली ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा- Exit Poll के अनुरूप ही रहेगा चुनाव परिणाम
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रचार में निजी हमले न तो 2014 में चले और न ही शायद 2019 में उसका कोई असर हुआ।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एग्जिट पोल में राजग को बहुमत के रुझान को लेकर भी विपक्षी दलों की ओर से उठ रहे सवालों के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जहां यह तंज किया कि यह सर्वे ईवीएम से नहीं होता है। वहीं कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस के लिए गांधी परिवार गले की फांस बन गया है, उसके बिना भीड़ नहीं आती है और उसके सामने रहने पर वोट नहीं पड़ते हैं।
विपक्ष की ओर से लगातार एग्जिट पोल को नकारा जा रहा है और आशा जताई जा रही है कि आस्ट्रेलिया की तर्ज पर यहां के रुझान भी गलत साबित होंगे। सोमवार को अपने ब्लाग के जरिए जेटली ने उन्हें जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब एक स्वर से सभी सर्वे राजग सरकार की बात कर रहे हैं तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। नतीजे भी इसी रूप मे आएंगे।
उन्होंने याद दिलाया कि 2014 में भी एग्जिट पोल ने जो दिखाया था, मोटे तौर पर नतीजा भी वही आया था। उन्होंने कहा कि 'एग्जिट पोल में ईवीएम का कोई योगदान नहीं होता है और ऐसे में आम चुनाव का वास्तविक परिणाम भी अगर एक्जिट पोल के अनुरूप रहता है तब विपक्ष द्वारा उठाये गए फर्जी ईवीएम मुद्दे का भी अस्तित्व नहीं रह जायेगा'।
जेटली ने कहा कि इस एक्जिट पोल के कई संदेश हैं। भारतीय जनतंत्र के बहुत तेजी से परिपक्व होने के संकेत मौजूद हैं। वोटर कई तरह से संदेश दे रहे हैं, जिसमें ये बात भी शामिल है कि अब वे आपसे के विरोधी दलों के गठबंधन पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं।
'राजनीतिक विश्लेषक भ्रमित हैं, लेकिन वोटरों की सोच साफ है। वे कोई ऐसा त्रिशंकु संसद नहीं चुन रहे हैं, जहां बेढंगे और अस्थिर गठबंधन के लिए कोई भी भूमिका हो।' लोग अब राष्ट्रहित के सामने जातियों को महत्व देने के लिए तैयार नहीं हैं और वे फर्जी मुद्दों पर भी ध्यान नहीं देना चाहते हैं।
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रचार में निजी हमले न तो 2014 में चले और न ही शायद 2019 में उसका कोई असर हुआ। जनता मेधा के आधार पर नेता को चुनती है न कि जाति या परिवार के नाम के आधार पर। इसी क्रम में जेटली ने राहुल गांधी पर कटाक्ष किया और कहा कि गांधी परिवार ही कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गया है।
उन्होंने कहा- इस देश में कुछ नेताओं को यह भ्रम है कि सारा ज्ञान उन्ही के पास है। इसीलिए वो किसी भी अन्य विचार से संतुष्ट नहीं हो पाते। यह समझना होगा कि बदलते हुए भारत में वोटर स्पष्ट विचार धारा वाले दल चुनने की इच्छा रखते है। अगर राजनीतिक दल 2014 और 2019 के संदेश से नहीं समझे तो जल्द ही मतदाताओं से उनकी दूरी बढ़ती जाएगी।
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