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अरुण जेटली सर्जरी के बाद पहली बार पहुंचे संसद, राज्‍यसभा के नए उपसभापति को दी बधाई

14 मई को, जब जेटली की किडनी सर्जरी हो रही थी उसी दौरान रेलवे और कोयला मंत्री पीयूष गोयल को अस्थायी तौर पर वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दे दी गई थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 01:40 PM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 01:40 PM (IST)
अरुण जेटली सर्जरी के बाद पहली बार पहुंचे संसद, राज्‍यसभा के नए उपसभापति को दी बधाई
अरुण जेटली सर्जरी के बाद पहली बार पहुंचे संसद, राज्‍यसभा के नए उपसभापति को दी बधाई

नई दिल्‍ली, जेएनएन। अरुण जेटली लगभग तीन महीने बाद संसद भवन में नजर आए। जेटली राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। राज्‍यसभा में आज उपसभापति पद के लिए मतदान हुआ, जिसमें हरिवंश नारायण सिंह ने जीत दर्ज की। जीत के बाद अरुण जेटली ने हरिवंश को बधाई दी। जेटली ने कहा कि रिवंश जी लेखक, संपादक, बैंकर रहे हैं। उनका व्‍यवहार सदन में काफी शालीन रहा है। वह पद की गरिमा को और बढ़ाएगे।

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बीते 14 मई को अरुण जेटली की किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई थी और उसके बाद से ही वो आराम कर रहे थे। उनकी गैरमौजूदगी में पीयूष गोयल बतौर कार्यवाहक वित्त मंत्री जिम्मा संभाल रहे हैं। वैसे ये उम्‍मीद पहले से ही जताई जा रही थी कि जेटली मानसून सत्र के दौरान संसद में उपस्थित हो सकते हैं।

हालांकि अरुण जेटली जो कि सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं इस दौरान विभिन्न आर्थिक और गैर-आर्थिक मुद्दों पर ब्लॉग लिख रहे हैं, जैसे असम में नेशनल रजिस्ट्रॉर ऑफ सिटीजनशिप (एनआरसी), आपातकाल के चार दशक, संसद में अविश्वास प्रस्ताव, राफेल लड़ाकू विमान सौदा और जीएसटी। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैंकिंग कॉन्क्लेव और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की लॉन्चिंग की पहली सालगिरह के मौके पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी।

गौरतलब है कि 14 मई को, जब जेटली की किडनी सर्जरी हो रही थी उसी दौरान रेलवे और कोयला मंत्री पीयूष गोयल को अस्थायी तौर पर वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दे दी गई थी। अरुण जेटली के पास वित्त मंत्रालय साल 2014 से है जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र में आई। जेटली राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं।

बता दें कि राज्यसभा उपसभापति के चुनाव को विपक्षी एकजुटता का टेस्ट माना जा रहा था, जिसमें वो असफल रहे। सत्तारूढ़ एनडीए की तरफ से जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह उम्मीदवार थे, तो वहीं यूपीए की तरफ से कांग्रेस सांसद बीके हरिप्रसाद को मैदान में उतारा गया था। हालांकि संख्या बल के लिहाज से एनडीए उम्मीदवार हरिवंश की जीत पहले ही लगभग तय मानी जा रही थी।


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