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मोदी सरकार के आर्थिक आंकड़ों के खिलाफ बयान देने वाले अर्थशास्त्रियों पर बरसे जेटली

सरकार के आंकड़े दुनियाभर की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों के अनुरूप रखे जाते हैं। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इन आंकड़ों पर सकारात्मक टिप्पणी की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 08:36 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 08:36 PM (IST)
मोदी सरकार के आर्थिक आंकड़ों के खिलाफ बयान देने वाले अर्थशास्त्रियों पर बरसे जेटली
मोदी सरकार के आर्थिक आंकड़ों के खिलाफ बयान देने वाले अर्थशास्त्रियों पर बरसे जेटली

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठाने वाले 108 अर्थशास्त्रियों को आड़े हाथ लेते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इनमें से कई सरकार के खिलाफ झूठे राजनीतिक मुद्दों पर अभियानों में शामिल रहे हैं। जेटली ने कहा कि मूलत: विरोधी शायद ही तटस्थ हों।

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जेटली ने फेसबुक पर लिखे ब्लॉग में विपक्षी नेताओं पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं की विडंबना यह है कि उन्होंने अर्थव्यवस्था और विकास की दुनिया को समझने के बजाय राजनीति और नारेबाजी में विशेषज्ञता हासिल की हुई है। मौजूदा सरकार के खिलाफ जो भी फर्जी अभियान चल रहे हैं उनमें एक आर्थिक आंकड़ों के संबंध में है।

आंकड़ों का प्रबंधन करने वाला सेंट्रल स्टेटिस्टिीकल आर्गनाइजेशन सरकार से पर्याप्त दूरी बनाकर पेशवर ढंग से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। सरकार के आंकड़े दुनियाभर की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों के अनुरूप रखे जाते हैं। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इन आंकड़ों पर सकारात्मक टिप्पणी की है। हाल में 108 कथित अर्थशास्त्रियों ने जो बयान दिया है उसका विश्लेषण करने की जरूरत है। इनमें से अधिकांश ने पिछले कुछ वर्षो में सरकार के खिलाफ झूठे राजनीतिक मुद्दों पर लगातार ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। मूलत: विरोधी शायद ही तटस्थ हो सकते हैं।

जेटली ने कहा कि 2014-19 के दौरान पांच साल की अवधि किसी भी सरकार के कार्यकाल में सबसे अधिक विकास दर वाली अवधि रही है। यह राजकोषीय अनुशासन का दौर भी रहा है। जेटली ने इस संबंध में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल से तुलना करते हुए आंकड़े भी पेश किये। उन्होंने कहा कि 2009-14 के दौरान महंगाई की दर 10 प्रतिशत से ऊपर थी जबकि 2014-19 की अवधि में यह 4.5 प्रतिशत है।

जेटली ने देश में जॉब लास के बारे में चलाए जा रहे फर्जी अभियान को भी खारिज किया। उहोंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नौकरियां सृजित हो रही हैं। उन्होंने एलपीजी कवरेज का उदाहरण देते हुए कहा कि 2014 में एलपीजी कवरेज 55 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा उन्होंने मोदी सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र खासकर कृषि के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा भी दिया।

उल्लेखनीय है कि हाल में 108 अर्थशास्त्रियों ने एक बयान जारी कर सरकारी आंकड़ों की आलोचना करते हुए इन पर भरोसा न करने की अपील की थी। इनमें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों के अर्थशास्त्रियों के नाम शामिल हैं।


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