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1962 के टकराव के बाद सबसे गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं लद्दाख के हालात : विदेश मंत्री जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान सभी समझौतों और सहमतियों का सम्मान करते हुए ही किया जाना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 11:08 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 08:33 AM (IST)
1962 के टकराव के बाद सबसे गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं लद्दाख के हालात : विदेश मंत्री जयशंकर
1962 के टकराव के बाद सबसे गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं लद्दाख के हालात : विदेश मंत्री जयशंकर

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल सभी समझौतों का सम्मान करते हुए ही निकाला जाना चाहिए। विदेश मंत्री ने लद्दाख में जारी मौजूदा स्थिति को साल 1962 के टकराव के बाद की सबसे गंभीर स्थिति करार दिया है। उनका कहना है कि दोनों देशों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर तैनात सुरक्षा बलों की संख्या बहुत ज्‍यादा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि अब तक सभी सीमाई स्थितियों का समाधान कूटनीति के जरिए ही निकाला गया है।

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चीन को दी हिदायत, यथास्थिति में बदलाव की कोशिश न हो 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी पुस्तक 'द इंडिया वे : स्ट्रैटजिज फार एन अंसर्टेन वर्ल्ड' के लोकार्पण से पहले एक साक्षात्कार में उक्‍त बातें कही। उन्‍होंने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, हम चीन के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों चैनलों के जरिए बातचीत कर रहे हैं। वैसे जब बात समाधान निकालने की है तब यह सभी समझौतों एवं सहमतियों के सम्मान के आधार पर किया जाना चाहिए। इस दौरान उन्‍होंने चीन को आगाह किया कि सीमा पर एकतरफा यथास्थिति में बदलाव की कोशिश नहीं होनी चाहिए।  

सीमा पर शांति संबंधों का आधार

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के साथ मिलकर काम करने की क्षमता एशिया के भविष्‍य का निर्धारण करेगी। हालांकि उन्‍होंने चीनी हरकतों की ओर इशारा करते हुए यह भी कहा कि उनकी ओर से खड़ी की जाने वाली समस्‍याएं इस पर असर डाल सकती हैं। यही वजह है कि दोनों देशों के लिए सीमा पर शांति बेहद महत्वपूर्ण संबंध है। इसके लिए ईमानदार संवाद बनाने की जरूरत है। भारत ने चीनी पक्ष को साफ साफ बता दिया है कि सीमा पर शांति संबंधों का आधार है। हम पिछले तीन दशकों पर गौर करें तो यह खुद ही स्पष्ट हो जाता है। 

सीमाओं की सुरक्षा के लिए जो भी जरूरी होगा करेंगे 

विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले दशक में देपसांग, चुमार, डोकलाम आदि पर सीमा विवाद पैदा हुए। इसमें से प्रत्येक एक दूसरे से अलग था और यह भी है। लेकिन इसमें एक बात समान है कि इनका समाधान राजनयिक प्रयासों से हुआ। जयशंकर ने कहा, 'मैं वर्तमान स्थिति की गंभीरता या जटिल प्रकृति को कम नहीं बता रहा। स्वभाविक रूप से हमें अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए जो कुछ करना चाहिए, वह करना होगा।' उन्होंने भारत-रूस संबंधों, जवाहर लाल नेहरू की गुटनिरपेक्ष नीति की प्रासंगिकता, अतीत के बोझ और 1977 के बाद ऐतिहासिक वैश्विक घटनाओं का भारतीय कूटनीति पर प्रभाव सहित विविध मुद्दों पर भी विचार व्यक्त किए। 

तेजी से विकसित हो रहे भारत-यूएई संबंध

गल्फ न्यूज के साथ एक अन्य बातचीत में जयशंकर ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच संबंधों में तेजी से विकास हो रहा है। यह भारत के दिल के सबसे करीब देशों में है। विदेश मंत्री ने यूएई और इजरायल के बीच कूटनीतिक संबंधों के सामान्य होने का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इसने देश के लिए कई अवसर खोल दिए हैं क्योंकि दोनों देशों के साथ भारत के बहुत अच्छे रिश्ते हैं। 


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