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ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक में जयशंकर बोले, बहुपक्षीय मंचों में बड़े बदलाव जरूरी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के बहुपक्षीय मंचों में वक्त के मुताबिक बदलाव करने की वकालत की है ताकि वैश्विक स्तर पर डेवलपमेंट और ग्रोथ को फिर से केंद्र में लाया जा सके।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 12:59 AM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 12:59 AM (IST)
ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक में जयशंकर बोले, बहुपक्षीय मंचों में बड़े बदलाव जरूरी
ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक में जयशंकर बोले, बहुपक्षीय मंचों में बड़े बदलाव जरूरी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोविड-19 की वजह से वैश्विक कूटनीति में भारी उथल पुथल के आसार नजर आ रहे हैं। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के बहुपक्षीय मंचों में वक्त के मुताबिक बदलाव करने की जोरदार वकालत की है ताकि वैश्विक स्तर पर डेवलपमेंट और ग्रोथ को फिर से केंद्र में लाया जा सके। जयशंकर ने यह बात ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के मंच पर कही है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थाई सदस्य चीन और रूस भी हिस्सा हैं। इन तीन देशों के अलावा दक्षिण अफ्रीका व ब्राजील के विदेश मंत्रियों ने भी इसमें हिस्सा लिया। बैठक में मुख्य तौर पर कोविड-19 महामारी से उपजे हालात और इससे निपटने के लिए उठाये जाने वाले कदमों व भावी साझा सहयोग पर चर्चा की गई।

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सभी देश कोरोना वायरस से बचाव में अपने अनुभवों को साझा करेंगे

इस बैठक में फैसला किया गया कि सभी सदस्य देशों के बीच कोरोना वायरस से बचाव में अपने अनुभवों को साझा करने का एक मंच बनेगा। इसके लिए इन देशों के स्वास्थ्य विभागों से जुड़े अधिकारियों की एक बैठक 7 मई, 2020 को बुलाई गई है। यह बैठक सार्क देशों के बीच होने वाली बैठक की तरह ही होगी। जयशंकर ने कहा कि मौजूदा संकट से जो चुनौतियां पैदा हुई हैं उससे साफ है कि बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय मंचों में और बदलाव की जरुरत है। इसके लिए आगे कई तरह के सुधार करने की भी बात उन्होंने कही है। 

आर्थिक चुनौतियों का खास तौर पर जिक्र किया

विदेश मंत्री ने इस महामारी से स्वास्थ्य व मानवता की जीविका को लेकर उपजी समस्याओं के साथ ही इससे उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का खास तौर पर जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां ठप हैं और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर गंवाये जा रहे हैं। ब्रिक्स देश जिनमें दुनिया की 42 फीसद आबादी रहती है, की जिम्मेदारी है कि वह संयुक्त तौर पर इस महामारी से लड़ने का जज्बा दिखाए। भारत की तरफ से 85 देशों को जीवन बचाने वाले दवाई उपलब्ध कराये जाने का जिक्र भी उन्होंने किया।


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