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राजा नहीं हैं अकेले, अधिकांश संचार मंत्रियों का कार्यकाल रहा है विवादास्पद

टेलीकॉम विभाग संभालने वाले मंत्रियों पर आरोप लगते रहे हैं। मंत्रियों के तमाम फैसले विवादों के साए में रहे।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 21 Dec 2017 02:43 PM (IST)
राजा नहीं हैं अकेले, अधिकांश संचार मंत्रियों का कार्यकाल रहा है विवादास्पद
राजा नहीं हैं अकेले, अधिकांश संचार मंत्रियों का कार्यकाल रहा है विवादास्पद

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। वर्ष 2009 में जब तत्कालीन विपक्षी पार्टी भाजपा ने 2 जी स्पेक्ट्रम को लेकर तत्कालीन यूपीए पर आरोप लगाये जो इसकी जांच के लिए संयुक्त संसदीय दल का गठन भी किया गया था। कांग्र्रेस की अगुवाई वाली यूपीए ने जांच की आंच को पूर्व की राजग सरकार के कार्यकाल में भी ले जाने की कोशिश की। वर्ष 2001 से वर्ष 2008 तक के दूरसंचार मंत्रियों के कार्यकाल की जांच करवाई गई। रिपोर्ट जब पेश की गई तो उसमें कुछ खास नहीं रहा। हां, तब तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को क्लीन चिट जरुर दे दी गई थी। वर्ष 2001-2008 के दौरान रामविलास पासवान से लेकर ए. राजा तक ने संचार मंत्रालय के दौरान कब कब स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया और कैसे किया गया इसका ब्यौरा नीचे दिया गया है। ये सारे फैसले अपने आप में काफी अहम थे। लेकिन अधिकांश संचार मंत्री का कार्यकाल काफी विवादों वाला रहा है।

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रामविलास पासवान (1999-2001)

-टेलीकॉम पॉलिसी, 1999 की घोषणा ।
-फिक्स्ड लाइसेंस शुल्क की बजाय राजस्व भागेदारी समझौतों की शुरुआत ।
-रिलायंस इंफोकॉम को देश भर में सेवाएं शुरू करने की सुविधा ।
-जीएसएम व सीडीएमए आधारित मोबाइल सेवाएं देने वाली कंपनियों को लाइसेंस में गड़बड़ी का आरोप ।
-टेलीकॉम कंपनियों को 6.2 मेगाहट्र्ज पर लाइसेंस आवंटित ।
-12.5 मेगाहर्ट्ज की फ्रिक्वेंसी पर सीडीएमए व डब्ल्यूएलएल सेवाओं की अनुमति ।


प्रमोद महाजन (2001-2003)


-टेलीकॉम नीति, 1999 को लागू किया
-मोबाइल धारकों की संख्या में तेजी से वृद्धि ।
-शुल्क माफ करने से टेलीकॉम कंपनियों ने बचाए हजारों करोड़ रुपये ।
-विदेश संचार निगम लिमिटेड के निजीकरण के विवाद के चलते मंत्री पद से हटाए गए ।
-रिलायंस कम्यूनिकेशन को अनुचित बढ़ावा देने का आरोप। 


अरुण शौरी (2003-2005)

-'पहले आओ, पहले पाओ के तहत यूनाइटेड एक्सेस सर्विस लाइसेंस शुरू करने की मंजूरी। 
-टेलीकॉम नियामक ट्राई के सुझावों व पूर्व मंत्री पासवान के समय बनी टेलीकॉम नीति पर विचार। 
-कुछ टेलीकॉम कंपनियों को कथित तौर पर बढ़ावा देने का आरोप ।


दयानिधि मारन (2005-2007)

-एकमात्र मंत्री जो विवादों में तो घिरे लेकिन अलोचना कम हुई ।
-इनके समय में काल दरों में भारी गिरावट आई ।
-टेलीकॉम उद्योग के लिए शुल्क दरें घटाने पर शुरू की कवायद ।
-रक्षा मंत्रालय से स्पेक्ट्रम खाली कराने की पहल ।
-पार्टी की मर्जी के चलते छूटा मंत्री पद ।


ए. राजा (2007-10)

-नई टेलीकॉम कंपनियों को 2001 की निर्धारित दर पर दिए स्पेक्ट्रम लाइसेंस ।
-दूरसंचार मंत्रालय ने कैबिनेट की मंजूरी के बगैर 'पहले आओ, पहले पाओ की शर्त पर दिए लाइसेंस ।
-कुछ टेलीकॉम कंपनियों को कथित तौर पर फायदा पहुंचाते हुए लाइसेंस की कट ऑफ तिथि एक अक्टूबर से घटाकर 25 सितंबर की ।

-बीएसएनएल को स्वान के साथ इंट्रा सर्विस रोमिंग एग्रीमेंट करने का आदेश देने का आरोप।
-सीएजी की रिपोर्ट पर सुप्रीमकोर्ट के तीखे तेवरों के बाद मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा ।

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