दावोस में भी दिखेगा भारत का दबदबा, खास है पीएम मोदी का स्विट्जरलैंड दौरा
दावोस में होने वाले वर्ल्ड वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम पर दुनिया की निगाह टिकी है। पीएम नरेंद्र मोदी 23 जनवरी को उद्घाटन भाषण देंगे।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में मंगलवारसे विभिन्न क्षेत्रों के तीन हजार से भी अधिक वैश्विक नेता एकत्र होने जा रहे हैं। मौका होगा वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम या विश्व आर्थिक मंच(डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक का। डब्ल्यूईएफकी इस 48वीं बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 130 शीर्ष वैश्विक नेता भी शिरकत करेंगे। 1997 में एचडी देवेगौड़ा के बाद 20 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में बैठक में हिस्सा लेने पहुंच रहे नरेंद्र मोदी इसमें 23 जनवरी को उद्घाटन भाषण देंगे। साथ ही इसमें योग का प्रशिक्षण सत्र भी होगा। इससाल बैठक की थीम है ‘खंडित या टूटी-फूटी दुनिया में साझा भविष्य तैयार करना’। सोमवार शाम से विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाएगी।
भारत का एजेंडा
-बैठक में मोदी इस पर जोर दे सकते हैं किभारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में अहम भागीदार साबित हो सकता है। अन्य देश भी इसमेंसहभागिता निभाएं।
-भारत में बिजनेस को आसान बनाने, भ्रष्टाचारऔर कालाधन कम करने, टैक्स प्रणाली सरलबनाने और देश के सतत विकास के लिए उठाएगए जरूरी कदमों पर मोदी चर्चा कर सकते हैं।
-चूंकि स्विट्जरलैंड यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन(ईएफटीए) का सदस्य है, इसलिए बर्सेट सेमुलाकात में भारत और ईएफटीए के बीच हो रहेद्विपक्षीय निवेश हित समझौते और स्वतंत्र व्यापारसमझौते पर अहम चर्चा हो सकती है।
-भारत को नया, युवा और प्रगतिशील बनानेऔर संघवाद पर मोदी अपने अनुभव साझा करसकते हैं। साथ ही वैश्विक आतंकवाद को खत्मकरने, अस्थिरअर्थव्यवस्था, साइबर खतरे औरसामाजिक विषमताओं को समाप्त करने के लिएवैश्विक सहयोग पर चर्चा कर सकते हैं।
जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी पंत ने कहा कि ये दौरा भारत के दृष्टिकोण से बेहद अहम है। पिछले साढ़े तीन साल में मोदी सरकार ने जो अहम नीतिगत फैसले लिए हैं उसे दुनिया भी सराह रही है। अगर आप पीएम के साथ जाने वाले प्रतिनिधिमंडल पर नजर डालें तो एक बात बिल्कुल साफ है कि सरकार दुनिया को ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि भारत दूसरे देशों के साथ कदमताल करने को तैयार है। भारत में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल माहौल बना है जिसका फायदा निवेशक देशों को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि विशुद्ध रूप से ये आर्थिक मंच है लिहाजा दूसरे मुद्दों को उठाए जाने की संभावना कम है। लेकिन भारत ये कह सकता है कि आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए दुनिया में शांति और स्थिरता जरूरी है।
भारतीय दल में 130 सदस्य
भारतीय दल में 130 सदस्य होंगे। इनमें छह केंद्रीय मंत्री- अरुण जेटली, सुरेश प्रभु, पीयूष गोयल, धमेंद्र प्रधान, एम जे अकबर और जितेंद्रसिंह होंगे। प्रमुख भारतीय कंपनियों के सीईओ का दल भीजाएगा। इसमें मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, अजीम प्रेमजी, राहुल बजाज, ए चंद्रशेखरन, चंदा कोचर, उदय कोटक प्रमुख होंगे। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी अर्थव्यवस्था पर आधारित सत्र को संबोधित करेंगे।
ट्रंप व अब्बासी से मुलाकात नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बैठक में समापन भाषण देंगे।तब तक मोदीवहां नहीं होंगे।इसलिए मोदी और ट्रंप की मुलाकातनहीं हो सकेगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासीभी बैठक में शिरकत कर सकते हैं।लेकिन उनसे भी मोदी की मुलाकातकी संभावना नहीं है। मोदी कीद्विपक्षीय मुलाकात सिर्फ स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बर्सेट से होगी।
24 घंटे का होगा मोदी का दौरा
मोदी सोमवार को दावोस पहुंचेंगे। उनका दौरा 24 घंटे का हीहोगा। सोमवार शाम को मोदी देश-विदेश की 60 से अधिककंपनियों के सीईओ के रात्रि भोज की मेजबानी करेंगे।मंगलवार को डब्ल्यूईएफ के 120 सदस्यों से भी मिलेंगे।
खास-खास
सोमवार को आयोजित समारोह में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुखखान को 24वां क्रिस्टल अवार्ड दिया जाएगा। उन्हें यह बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए चलाए गए अभियान के बेहतर नेतृत्वके लिए मिलेगा। शाह रुख के अलावा यह अवॉर्ड ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री केट ब्लेनचेटऔर संगीतकार एल्टन जॉन को भी मिलेगा।बैठक के सभी दिन भारत योग का प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेगा। साथ ही भारतीय संस्कृति और विरासत को दावोस में प्रदर्शित किया जाएगा।
क्या है डब्ल्यूईएफ
यह स्विट्जरलैंड की गैर लाभकारी संस्था है। इसका मकसद बिजनेस, राजनीति, शैक्षिकव अन्य क्षेत्रों के वैश्विक नेताओं व अग्रणी लोगों को एक साथ लाकर वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है। इसका गठन 1971 में हुआ।
शीर्ष वैश्विक नेताओं का जमावड़ा
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे समेत 340 शीर्ष राजनीतिक चेहरे बैठक में पहुंचेंगे। बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के 1900 नेता और विभिन्न वैश्विक एनजीओ के 900 नेता हिस्सा लेंगे। बैठक में महिलाओं की हिस्सेदारी 21 फीसद होगी।
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