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वित्त मंत्री के पिटारे से कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र को सौगात,जानें राजनीतिक मायने

वित्त मंत्री अरुण जेटली जब बजट 2018 को देश के सामने रख रहे थे तो आम लोग हों या खास सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थी कि उनके पिटारे से क्या कुछ निकलता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 01 Feb 2018 03:00 PM (IST)Updated: Thu, 01 Feb 2018 05:10 PM (IST)
वित्त मंत्री के पिटारे से कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र को सौगात,जानें राजनीतिक मायने
वित्त मंत्री के पिटारे से कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र को सौगात,जानें राजनीतिक मायने

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। वित्त मंत्री अरुण जेटली जब बजट 2018 को देश के सामने रख रहे थे तो आम लोग हों या खास सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थी कि उनके पिटारे से क्या कुछ निकलता है। करीब दो घंटे की स्पीच में उन्होंने देश की आर्थिक तस्वीर को पेश की और ये बताया कि भारत दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। लेकिन जिस अंदाज में मौजूदा सरकार ने नीतिगत फैसले लिए हैं, उससे भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। 

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वित्त मंत्री का पिटारा ग्रामीण भारत, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र पर मेहरबान रहा लेकिन नौकरीपेशा लोगों के हाथ निराशा लगी। वित्त मंत्री के बजट भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए जहां विरोधी दलों ने चुनावी बजट करार दिया, वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि बजट 2018 में जो ऐलान किया गया है वो नए भारत के निर्माण में एक कदम आगे बढ़ना जैसा है।वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट भाषण के मायने क्या हैं, इसे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर किसकी झोली में क्या आया।

बजट 2018 में स्वास्थ्य पर खास जोर

नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत 1 परिवार को सालाना 5 लाख रुपये दिए जाएंगे। इस स्कीम से 10 करोड़ गरीब परिवारों को इसका फायदा होगा। 50 करोड़ लोगों को हेल्थ बीमा मिलेगा। देश की 40 फीसदी आबादी को हेल्थ बीमा होगा। 24 नए मेडिकल कॉलेज खुलेंगे। टीबी के मरीज को हर महीने 500 रुपये की मदद दी जाएगी। हर तीन संसदीय क्षेत्र के बीच में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। देश भर में 24 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों की स्थापना होगी।देश की लगभग 40 फीसदी आबादी को मिल सकेगा स्वास्थ्य बीमा।10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपये प्रति साल इलाज के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मिलेंगे। अभी सिर्फ 30,000 रुपये मिलते थे ।

आयुष्मान भारत प्रोग्राम के तहत दो स्वास्थ्य योजनाओं का ऐलान। स्वास्थ्य के लिए 1.5 लाख आरोग्य सेंटर स्थापित किए जाएंगे। हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिए 1,200 करोड़ रुपये जारी होंगे।

अन्नदाता पर खास ध्यान

देश में कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर किसानों को उनकी फसल के उचित दाम दिलाए जाने को लेकर सरकार काम कर रही है। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ बी नया ग्रामीण बाजार ई-नैम बनाने का ऐलान किया गया। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ के साथ ऑर्गेनिक फार्मिंग पर जोर देने पर प्रतिबद्धता जताई।आलू, प्याज और टमाटर के लिए ऑपरेशन ग्रीन लांच किया जाएगा। इसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव है।जिला स्तर पर विशिष्ट कृषि उत्पादन का कलस्टर मॉडल विकसित होगा। 42 मेगा फूड पार्क बनाए जाएंगे।

बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए 590 करोड़ किसानों को दिए जाएंगे। सरकार अतिरिक्त सोलर पावर खरीदेगी पशु मछली पालन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड फूड प्रॉसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। कृषि उत्पादों के निर्यात को 100 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य। 22 हजार मंडियों को एपीएमसी के मौजूदा प्रावधानों से दूर कर बाजार को किसानों के दर तक पहुंचाने की कोशिश पर जोर दिया।

शिक्षित भारत पर जोर

हर साल 1 हजार बीटेक स्टूडेंट्स को छात्रवृत्ति मिलेगी। शिक्षकों के लिए एकीकृत बीएड कोर्स की शुरुआत होगी। एक हजार छात्रों को मिलेगा आईआईटी से पीएचडी करने का मौका। बच्चों स्कूल पहुंचाना सरकार का बड़ा लक्ष्य है। प्री नर्सरी से 12 वीं तक एक शिक्षा नीति डिजिटल पढ़ाई को बढ़ावा आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य स्कूल की स्थापना।

मुफ्त गैस कनेक्शन और आवास का दायरा बढ़ा

उज्जवला योजना का लक्ष्य बढ़ाकर 8 करोड़ किया गया। चार करोड़ गरीब घरों में बिजली कनेक्शन देंने का ऐलान। अब तक 6 करोड़ शौचालय बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा 2 करोड़ शौचालय और बनाएंगे। 2022 तक हर गरीब को घर देने के ऐलान के साथ ही 51 लाख नए घर बनाए जाएंगे। शहरी क्षेत्रों में 37 लाख मकान बनाने को मंजूरी दी गई।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट के समापन पर स्वामी विवेकानंद के वक्तव्य का जिक्र करते हुये कहा कि हम एक ऐसी व्यवस्था की तरफ आगे बढ़ रहे हैं जिसमें समाज का हर एक तबका अपने आप को उपेक्षित न महसूस करे। नए भारत के निर्माण में आर्थिक विषमता की जो खाईं है, उसे मौजूदा सरकार भरने की कोशिश कर रही है। लेकिन हम आप को यहां बताएंगे कि जानकारों को क्या कहना है।

जानकार की राय

दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक प्रशांत मिश्र ने बताया कि इस बजट के जरिए सरकार ने जनसामान्य की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की है। उदाहरण के तौर पर अन्नदाताओं को होने वाली दिक्कतों के समाधान और रास्ते के लिए जिस तरह से एमएसपी और बाजार भाव के अंतर को पाटने की तरकीब सुझायी गयी है। वो गेमचेंजर साबित होने वाली है।स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा ऐलान किया गया है। इसमें सच्चाई भी है कि देश की आजादी के 70 साल बाद भी आबादी का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम रहा है। अगर मौजूदा सरकार की नेशनल हेल्थ प्रोटेक्श स्कीम जमीन पर पहुंचने में कामयाब होती है तो नए भारत के सपने को हकीकत में बदलना आसान होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बजट से चुनावी आहट भी नजर आ रही है।


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