आंध्र प्रदेश में फर्जी खबरों को लेकर 12 साल पुराने कानून को किया गया बहाल, जानें क्यों हो रही आलोचना
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने फर्जी खबरों को लेकर 12 साल पुराने स्थगित विवादास्पद सरकारी आदेश को बहाल किया है।
अमरावती, प्रेट्र। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अपने दिवंगत पिता के शासनकाल के दौरान 12 साल पहले स्थगित रखे गए विवादास्पद सरकारी आदेश को बहाल करते हुए 'फर्जी, निराधार और मानहानिकारक खबरों' के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए बुधवार को आदेश जारी किया। विपक्षी दलों और मीडिया प्रतिष्ठानों ने सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है।
कानूनी कार्रवाई के कदम
मुख्यमंत्री के रूप में राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल के दौरान 2007 में जारी किए किया गया आदेश प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक सीमित था, लेकिन बुधवार को जारी किया गया सरकारी आदेश सोशल मीडिया के लिए भी है जिसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के कदम उठाए जा सकते हैं। पुराने आदेश में प्रकाशकों और संपादकों के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करने की जिम्मेदारी सूचना आयुक्त को दी गई थी, लेकिन बुधवार के आदेश में संबंधित विभागों के सचिवों को यह जिम्मेदारी दी गई है।
2007 के कानून को बहाल करने की कोशिश
राज्य मंत्रिमंडल ने 20 फरवरी 2007 को जारी किए गए सरकारी आदेश (नंबर 938) को बहाल करने की गत 16 अक्टूबर को मंजूरी दे दी थी। इस फैसले के बारे में सूचना आयुक्त टी विजय कुमार रेड्डी ने कहा कि सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा सोशल मीडिया में दुर्भावना के साथ फर्जी, निराधार और मानहानिकारक समाचार फैलाकर जानबूझकर सरकार और सरकारी अधिकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
फेक न्यूज पर लगाम लगाने की जरूरत बताई
कुछ दिनों पहले केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने फर्जी खबरों (फेक न्यूज) को पेड न्यूज से ज्यादा खतरनाक बताया था। जावडेकर ने कहा कि फर्जी खबरों को रोकना होगा और यह हम सभी का काम है। जो सचमुच खबरों की दुनिया में हैं, उन्हें इससे लड़ना होगा। उन्होंने फर्जी खबरों के कारण बच्चा चोरी के संदेह में भीड़ द्वारा कुछ लोगों की जान लेने की घटनाओं का भी जिक्र किया था।
मंत्री ने कहा कि कुछ चैनल 'वायरल सच' जैसे कार्यक्रम चलाकर फर्जी खबरों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। प्रिंट मीडिया को भी ऐसा स्थायी कॉलम रखना चाहिए। जावडेकर ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और फिल्मों की भांति ओवर द टॉप (ओटीटी) मंच के लिए स्वनियमन की वकालत की।