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अपने-आप में अनोखा है आरएसएस, किसी दूसरे संगठन से तुलना नहीं

मोहन भागवत ने कहा कि संघ को समझना हो तो डॉ. हेडगेवार के जीवन को जानना होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:37 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 09:37 PM (IST)
अपने-आप में अनोखा है आरएसएस, किसी दूसरे संगठन से तुलना नहीं
अपने-आप में अनोखा है आरएसएस, किसी दूसरे संगठन से तुलना नहीं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरएसएस का समाज और देश निर्माण की सभी विचारधाराओं का सामूहिक स्वरूप है। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विज्ञान भवन में प्रबुद्ध नागरिकों के सामने संघ की वैचारिक धरातल के बारे में बताते हुए कहा कि इसे संस्थापक डॉ. केशव बलराम हेडगेवार के जीवन को जानकर ही समझा जा सकता है, जिनके लिए राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि थी और विचारधारा गौण।

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व्यक्ति निर्माण का काम शुरू  
उन्होंने बताया कि किस तरह डॉ. हेडगेवार आजादी की लड़ाई में लगे क्रांतिकारियों को संगठित करने में सक्रिय थे तो कांग्रेस के कार्यक्रमों में भी उनकी उतनी ही सक्रियता था। लेकिन समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए सुयोग्य लोगों को तैयार करने के लिए उन्होंने आरएसएस के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का काम शुरू किया।

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दूसरे संगठन से तुलना से गलतफहमी होने की आशंका 
मोहन भागवत ने किसी दूसरे संगठन से आरएसएस की तुलना करने से आगाह करते हुए कहा कि संघ का काम एक अनोखा काम है, इसकी तुलना करने के लिए दूसरा कोई दूसरा संगठन नहीं है। दूसरे संगठन से तुलना की स्थिति में गलतफहमी होने की आशंका ज्यादा रहती है। उन्होंने बताया कि संघ को समझना हो, तो डॉ. हेडगेवार के जीवन को जानना होगा। बिना हेडगेवार को जाने संघ का समझना कठिन है। आज के संघ में डॉ. हेडगेवार के मानस की छवि दिख सकती है। जो एक जन्मजात देशभक्त थे।

क्रांतिकारियों के कोर कमेटी में शामिल हुए डॉ. हेडगेवार 
डॉ. हेडगेवार का शुरू से ही केवल यही उद्देश्य रहा कि देश की आजादी के लिए जो भी प्रयास चल रहे थे, उनमें तन-मन से जुट जाना। बाल जीवन में नागपुर में वंदे मातरम आंदोलन को संगठित करने वाले डॉ. हेडगेवार युवा होने पर क्रांतिकारियों के कोर कमेटी में शामिल हुए।

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असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी 
देश सेवा के लिए उन्होंने नौकरी ठुकरा दी, शादी भी ठुकरा दी। आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए देश की सेवा में जीवन लगाने की प्रतिज्ञा की है। इसके साथ ही कांग्रेस के विदर्भ प्रदेश के चोटी के कार्यकर्ताओं में भी एक थे। असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की और इसके कारण गिरफ्तार भी हुए। इस तरह डा. हेडगेवार का सार्वजनिक जीवन में सभी से संबंध था। सभी प्रकार के विचारधाराओं के लोग उनके अच्छे मित्र थे। सभी प्रकार के लोगों से उनकी चर्चाएं वार्ताएं होती रहती थी।

गुणवत्तापूर्ण चरित्र की जरूरत 
मोहन भागवत के अनुसार डॉ.हेडगेवार के जीवन की तरह आरएसएस भी राष्ट्र और समाज निर्माण में सभी विचारधाराओं और उनसे जुड़े महापुरुषों का सम्मान करता है और उनके योगदान को स्वीकार करता है। लेकिन इतनी धाराओं के बावजूद समाज का जो एक गुणवत्तापूर्ण चरित्र उपस्थित होना चाहिए था, वह नहीं हो सका। आज भी उसकी जरूरत महसूस होती है। 

समाज की कमियों को दूर करने की जरूरत  
डा. हेडगेवार को समाज की कमियों को पहचान कर उसे स्थायी रूप से दूर करने की जरूरत महसूस हुई। उन्हें लगता था कि समाज को कुछ ट्रेनिंग देने की जरूरत है, लेकिन किसी को इसके लिए फुर्सत नहीं है। स्वतंत्र देश के लिए योग्य समाज का निर्माण करना पड़ेगा। सात-आठ साल तक ये कैसे हो सकता है इसके लिए प्रयोग किये। अनेक संस्थाएं चल रही थी उसके काम देखे। एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक मंडल भी चलाए। सारे प्रयोग करके समाज को खड़ा करने की पद्धति  खड़ी की। 

संघ करता है व्‍यक्ति निर्माण  
1925 में घोषणा की यह काम शुरू हो रहा है। इस तरह से सभी विचारधाराओं और प्रयोगों से आरएसएस सामने आया। यह व्यक्ति निर्माण करता है। समतामूलक, भेदभाव रहित समाज सिर्फ कहने से आएगा नहीं। छत्रपति शिवाजी होने चाहिए, लेकिन दूसरे के घर में होने चाहिए। प्रत्येक गांव में प्रत्येक गली में अच्छे स्वयंसेवक खड़ा करना। जो संपूर्ण समाज को अपना मानकर काम करता है। संघ बस इतना ही हैं।


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