ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ बोलें - भारत व तालिबान के बीच मध्यस्थता को तैयार
भारत के दौरे पर ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ आए हैं तो यह प्रस्ताव आया है कि अगर भारत चाहे तो ईरान तालिबान के साथ उसकी बातचीत शुरु कराने में मदद कर सकता है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान के लौटने के मजबूत होते आसार से सशंकित भारत के समक्ष ईरान ने एक अहम प्रस्ताव किया है। ईरान भी भारत की तरह ही तालिबान से सशंकित है लेकिन उसने कूटनीतिक समझदारी दिखाते हुए तालिबान के एक धड़े से बात शुरु कर दी है। अब जबकि भारत के दौरे पर ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ आए हैं तो यह प्रस्ताव आया है कि अगर भारत चाहे तो ईरान तालिबान के साथ उसकी बातचीत शुरु कराने में मदद कर सकता है। माना जा रहा है कि भारत में जरीफ की जो बातचीत होगी उसमें यह एक अहम मुद्दा रहेगा।
सनद रहे कि रूस की अगुवाई में अफगानिस्तान में शांति बहाली में तालिबान को शामिल करने को लेकर जो वार्ता शुरु की गई थी उसे अब अधिकांश देश स्वीकार करने लगे हैं। इस संदर्भ में रूस में हुई पिछले महीने वार्ता में भारत भी शामिल हुआ था। वैसे भारत ने अपने किसी वरिष्ठ अधिकारी को इस बैठक में भाग लेने के लिए नहीं भेजा था। भारत की आशंका के पीछे वजह यह है कि तालिबान में अभी भी पाकिस्तान समर्थक धड़ा सबसे मजबूत है। हाल ही में पाकिस्तान की मध्यस्थता में तालिबान और अमेरिका के बीच भी दो दिनों तक अबु-धाबी में चर्चा का दौर चला।
पाकिस्तान सरकार तो इसे अपनी एक अहम कूटनीतिक जीत के तौर पर पेश करने लगी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में चीन की यात्रा की थी कि किस तरह से अफगानिस्तान में शांति वार्ता में तालिबान को शामिल करते हुए आगे बढ़ाया जाए। पूर्व में भी जब पाकिस्तान समर्थित तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार बनाई थी जब भारत के हितों को बहुत नुकसान पहुंचाया गया था।
उधर, हालात को देखते हुए ईरान ने तालिबान से सीधे तौर पर बात शुरु कर दी है। हालांकि तालिबान और ईरान के रिश्ते भी बेहद तल्ख रहे हैं। ईरान सरकार लगातार यह आरोप लगाती रही है कि अफगानिस्तान से सटे उसके सिस्तानी प्रांत में तालिबान आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। ईरान ने भारत से कहा है कि तालिबान से बातचीत का चैनल उसने खोल रखा है और अगर भारत चाहे तो वह मदद कर सकता है।