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विशेष बातचीत: मुख्य सचिव विवाद पर बोले अजय माकन, 'ये एक सोची समझी साजिश'

इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए हमारे साथ दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन हैं। इस मुद्दे पर चर्चा इसलिए जरुरी है कि क्योंकि जो राजनैतिक स्तर है कि वो बहुत नीचे गिरा है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 23 Feb 2018 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 24 Feb 2018 06:47 AM (IST)
विशेष बातचीत: मुख्य सचिव विवाद पर बोले अजय माकन, 'ये एक सोची समझी साजिश'
विशेष बातचीत: मुख्य सचिव विवाद पर बोले अजय माकन, 'ये एक सोची समझी साजिश'

नई दिल्ली, जेएनएन।  दिल्ली के आम आदमी पार्टी के मुख्य सचिव की ओर से आप विधायकों के साथ हाथापाई का आरोप लगाया गया है। मुख्य सचिव ने रिपोर्ट में आरोप लगाए है कि उनके साथ सीएम आवास पर कमरा बंद करके मारपीट की गई है। इस मुद्दे पर दैनिक जागरण ने दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन से खास बातचीत की। उनका कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ ये शर्मनाक है।

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सवाल-जब हम सुनते है कि मुख्य सचिव को एक कमरे में बद करके मारपीट किया जाएं, यह कहां का इंसाफ है। कहा जाता है कि ब्यूरोक्रेट ही देश को चलाते हैं।

जवाब-यह इंसाफ के अलावा यह गैर लोकतंत्रिक है। जैसे चीफ मिनिस्टर पॉलिटिकल एडमिनिस्ट्रेशन का हेड होते हैं,वैसे ही मुख्य सचिव ब्यूरोक्रेसी के हेड होता है। आज तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। हम लोगों ने दिल्ली में 15 वर्ष सरकार चलाई, 10 वर्ष केंद्र में रहे। मैं खुद 15 वर्ष मंत्री रहा। उस वक्त भी दिल्ली में ऐसा वक्त आता था कि मेरे विधायक अधिकारियों की बात से खुश नहीं होते थे। लेकिन हमने अधिकारियों के सम्मान के साथ समझौता नहीं करते थे और फिर उनसे काम लेते थे। अब चीफ सेक्रेटी को चीफ मिनिस्टर रात के 12 बजे बुलाते हैं, और विधायकों से पिटवाते हैं। वो भी पूरी सोची समझी साजिश है। अब तो वो कहते हैं कि हमने उन्हें राशन कार्ड के लिए बुलाया था। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं राशन कार्ड का मंत्री था, और सिविल सप्लाई के सेक्रेट्री को क्यों नहीं बुलाया गया। यह एक सोची समझी साजिश थी। उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यह सरकार पूरी तरह से पिछले तीन सालों में विफल हो गई है।

-जब हम लोगों ने सत्ता छोडी़ थी, तो उस वक्त दिल्ली में 33 लाख 50 हजार राशन कार्ड थे, जो कि अब 19 लाख पचास हजार रह गए हैं। इस वक्त दिल्ली में हाहाकार मचा है। अब आप कहते हो कि आपकी बात कोई अधिकारी नहीं सुनता है। अगर आप चीफ सेक्रेट्री को बुलाकर पीटोगे, तो आपकी कौन सुनेगा।

सवाल-उनका कहना है कि सरकार को 14 फरवरी को तीन साल पूरे हो गए है, ऐसे में सरकार के कामकाज के प्रचार के लिए जो विज्ञापन बनाए गए है, वो विज्ञापन सचिव की ओर से रिलीज नहीं किए जा रहे थे।

जवाब-क्या यह इतनी इमरजेंसी का काम था कि मुख्य सचिव को रात के 12 बजे बुलाया जाए। दूसरा विज्ञापन का पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का हिस्सा है। हमारे समय में विज्ञापन का बजट 14.5 करोड़ का बजट था, जो कि 225 करोड़ रुपए का बजट है। ऐसे में केजरीवाल सरकार ने तीन वर्षों में 225 करोड़ रुपए खर्च किया है, जो कि 700 करोड़ के करीब खर्च किया है। इतने बजट में डेढ़ हजा डीटीसी बसों खरीदी जा सकती,कई स्कूल, कालेज बनाए जा सकते। अपनी झूठी वाहवाही करने के लिए आप सरकार ने इतना पैसा खर्च किया। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है विज्ञापन मामले में। ऐसे में चीफ सेक्रेट्री तो फंस गया कि अगर केजरीवाल सरकार की बात मानें, तो उसकी नौकरी चली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट कहती है, कोई झूठा प्रचार नहीं कर सकते। विज्ञापन में जनता के फायदे की बात होनी चाहिए। यहां केजरीवाल अपनी पार्टी के फायदे का प्रचार हो रहा है। ऐसे में चीफ सेक्रेट्री कैसे इन विज्ञापनों को जारी कर दें।

सवाल-लेकिन फिर सवाल यहीं है कि इसका इलाज क्या है। आपकी सरकार कैसे बाउंस बैक करेगी। लवली जी पार्टी में आ गए हैं। बहुत सारी मुद्दे रहे, जिसकी वजह से आपकी सरकार गई थी। कहा तो यह भी जाता था कि आपकी और शीला जी के साथ कई मुद्दों पर नाराजगी थी। ऐसे में कांग्रेस कैसे अपनी विफलताओं को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ेगी।

जवाब -देखिए, विफलता तो थी ही नहीं, जाहिर सी बात है कि पिछले 15 वर्षों में हमने छह चुनाव बार-बार जीते थे। 1098, 2000, 2003,2004, 2008 और 2009 में जीते। 2013 के बाद 15 साल बहुत लंबा वक्त होत है। ऐसे में केजरीवाल घोड़े पर चढ़कर आए और कहा कि मैं सबकुछ ठीक कर दूंगा। मैं दिल्ली को चमका दूंगा। तमाम लोगों को भ्रष्टाचारी बताया। ऐसे में अब तीन वर्ष लोगों ने उन्हें देख लिया। अब उनके तीन साल में दिल्ली की जनता बेहाल हो चुकी है। उन्होंने हर एक चुनाव हारा, हर बार उनका वोट शेयर कम हुआ है।

हां, लेकिन सीट तो जीती हैं, उन्होंने

-कॉरपोरेशन के अंदर जितने भी चुनाव हुए, वहां 70 मे से 66 सीटें जीतने वाली आप पार्टी ने 45 सीटें जीती। कहां जीते, रजौरी गार्डेन उपचुनाव में तीसरे नंबर पर रहें, जहां उनके उम्मीदवार को 11 फीसद वोट मिलें, जहां एक वर्ष पहले उनका उम्मीदवार जीता था। मात्र बवाना उपचुनाव जीते हैं, लेकिन इसी सीट पर उनके उम्मीदवार को 2015 में एक लाख दस हजार वोट मिले थे, जहां इस बार 53 हजार वोट मिले। ऐसे मात्र दो वर्ष में एक लाख से 53 हजार पर आ गए। ऐसे में दो वर्षो में 60 हजार लोगों ने उन्हें इस लायक नहीं समझा।

सवाल- आपके मुताबिक ऐसा लगता है कि जनता में काफी नाराजगी है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि जनता में एक संतुष्टि है कि बिजली और पानी अच्छे दामों पर मिल रहा है। सरकारी स्कूलों को ऐसा बना दिया गया है कि प्राइवेट स्कूल में न जाएं।

जवाब -ऐसा बिल्कुल नहीं है, सरकारी आंकडो़ के मुताबिक 98 हजार सरकारी स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूल में चले गए है। हमारे समय में 17 लाख 60 हजार बच्चे सरकारी स्कूल में थे। उसमें से 98 हजार बच्चे सरकारी स्कूल से निकलकर प्राइवेट स्कूल में चले गए हैं। कोई गलती हो, तो केस ठोक दें। हमारी सरकार के आखिरी वर्ष में 2013 में एक लाख 47 हजार बच्चे 12वीं में पास हुए थे। आज के समय में सिर्फ एक लाख नौ हजार बच्चे पास हुए है। इसमें निरंतर गिरावट दर्ज हुई है, जब बच्चों के आंकडे बढ़ रहे है, तो पास होने वाले बच्चों की संख्या बढ़नी चाहिए थी।

आंकड़ों का खेल बता रहे हैं आप

जवाब -जिस माता पिता ने सरकारी स्कूल से अपने बच्चों को निकालकर प्राइवेट स्कूल में डाला है, तो क्या वो केजरीवाल की आरती उतारेंगे, जिन माता-पिता की खर्च इसलिए बढ़ गया कि उनका बच्चा प्राइवेट स्कूल में जा रहा है, या फिर जिनके बच्चे फेल हो गए हैं, तो क्या वो केजरीवाल की आरती उतारेंगे।

सवाल- अब कांग्रेस की क्या रणनीति है। अब किस तरह आप अपनी पार्टी को आगे बढा़एंगे। यह हकीकत है कि पिछले तीन वर्षों में आपकी पार्टी काफी पीछे रही है। नजर नहीं आए, अब नजर आना शुरु हुए हैं।

जवाब -नहीं, नहीं ऐसी बात नहीं है कि नजर नहीं आते हैं। आप लोग दिखाते नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि नजर नहीं आए हैं। कोई ऐसा हफ्ता नहीं जाता है कि हम प्रदर्शन न करें। हमारे ट्वीटर और फेसबुक पर देखे न। आप लोगो को दिखाना चाहिए, लेकिन आप नहीं दिखाते है। तीन साल पहले कांग्रेस को नौ फीसद वोट शेयर मिला था, आज हर उपचुनाव में कांग्रेस को 25 से 30 फीसद वोट मिला है, जो कि पिछले का तीन गुना है, जबकि बाकी पार्टियों का वोट शेयर कम हुआ है। इसी के साथ हम साथ शीला जी, हारुन युसुफ, ड़ॉ. वालिया, लवली मिलकर दिल्ली के अंदर लोगों के बीच जा रहे है्। लोगों को कांग्रेस के 15 वर्ष याद आ रहे हैं। लोग चाहते हैं कि कांग्रेस दोबारा सत्ता में आएँ, क्योंकि हमने काम करके दिखाया था। हम सुनहरे सपने नहीं दिखाते हैं। फ्लाई ओवर, डिस्पेंसरी, कालेज, स्कूल और सीलिंग का देख लें। सुप्रीम कोर्ट का आदेश 2006 में आया था। उस वक्त मैं शहरी विकास मंत्री था, उस वक्त एक हफ्ते में अध्यादेश लाकर दि्ल्ली को सीलिंग से निजात दिलाई, तो आज क्यों यह सरकारें नहीं कर सकती हैं।

सवाल- अब ज्यादा समय दिल्ली विधानसभा चुनाव को नहीं बचे हैं। आप लगातार चुनाव में मुख्य विपक्षी के तौर पर चुनाव लड़ेगें।

जवाब -बिल्कुल, जो भी चुनाव होंगे, हम लड़ेंगे। क्योकि जनता चाहती है कि हम चुनाव जीतें।


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