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2014 के बाद से नहीं दिए गए 'अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार', जानें क्या है वजह

149वीं गांधी जयंती के अवसर पर मंगलवार को संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस अवार्ड के नामांकन हुए थे लेकिन उसकी मंजूरी का अब तक इंतजार है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 06:12 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 06:12 PM (IST)
2014 के बाद से नहीं दिए गए 'अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार', जानें क्या है वजह
2014 के बाद से नहीं दिए गए 'अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार', जानें क्या है वजह

नई दिल्ली [प्रेट्र]। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर दिए जाने वाले 'अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार' पिछले चार सालों से नहीं दिए गए हैं। 149वीं गांधी जयंती के अवसर पर मंगलवार को संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस अवार्ड के नामांकन हुए थे लेकिन उसकी मंजूरी का अब तक इंतजार है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि महात्मा गांधी के आदर्शो को श्रद्धांजलि देने के तौर पर वर्ष 1995 में भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार शुरू किया था। पिछली बार यह पुस्कार वर्ष 2014 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को मिला था। यह वार्षिक पुरस्कार गांधी के बताए अहिंसा और अन्य मार्गो पर चलने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है।

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इसमें पुरस्कार राशि के रूप में एक करोड़ रुपये नकद (जोकि विश्व की किसी भी करेंसी में परिवर्तनीय है), एक ताम्र पट्टिका और एक प्रशस्ति्र पत्र दिया जाता है। यह पुरस्कार हर साल विश्व भर में किसी भी योग्य व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है।

ज्यूरी संस्कृति मंत्रालय को मिलने वाले नामांकनों में से 30 अप्रैल तक प्रतिस्प‌िर्द्धयों के नामों पर विचार करती है। अगर यह पाया जाता है कि नामित लोगों में कोई भी मेरिट पर खरा नहीं उतर रहा है तो ज्यूरी उस साल के अवार्ड को रोकने के लिए स्वतंत्र होती है। केवल पिछले दस साल के अंदर की उपलब्धियों पर ही इसमें विचार किया जाता है।


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