Move to Jagran APP

कर्नाटक पर किसका होगा कब्जा, कांग्रेस की रणनीति को कुंद करने में जुटी भाजपा

कर्नाटक विधानसभा के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन सियासी दल एक दूसरे पर जमकर तीर चला रहे हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 03:07 PM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 04:31 PM (IST)
कर्नाटक पर किसका होगा कब्जा, कांग्रेस की रणनीति को कुंद करने में जुटी भाजपा
कर्नाटक पर किसका होगा कब्जा, कांग्रेस की रणनीति को कुंद करने में जुटी भाजपा

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई 2018 में संभावित है। लेकिन राज्य में सियासी पारा अभी से चढ़ने लगा है। भाजपा के कद्दावर चेहरों में से एक पूर्व सीएम बी एस येद्दयुरप्पा 90 दिनों की नव कर्नाटक परिवर्तन यात्रा पर निकले थे जो 224 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी थी। चुनावी तारीखों के ऐलान से ठीक पहले कांग्रेस और भाजपा की तरफ से जुबानी और सोशल मीडिया पर हमले भी तेज हो चुके हैं। गुजरात के नक्शेकदम पर चलते हुए हैदराबाद- कर्नाटक क्षेत्र में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदिरों का दर्शन कर अपने चुनावी अभियान को शुरू किया। इसके अलावा जेडीएस ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव में जाने का फैसला किया है। इन सबके बीच ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार कांग्रेस के हाथ से कर्नाटक निकल जाएगा या बी एस येद्दयुरप्पा( भाजपा के सीएम पद के घोषित उम्मीदवार)  की अगुवाई में कमल खिलेगा या जेडीएस और बसपा के रूप में तीसरी ताकत राज्य में सरकार बनाने में कामयाब होगी। 

loksabha election banner

कर्नाटक का चुनाव किसी युद्ध से कम नहीं
उत्तर पूर्व के तीन राज्यों में मतदान बाकी है, लेकिन भाजपा ने अभी से स्पष्ट कर दिया हैकि अगले दो-तीन महीने में होने वाला कर्नाटक चुनाव किसी युद्ध से कम नहीं होगा। अगले एक महीने में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश में चार बड़ी रैलियां कर सकते हैं। जबकि, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अगले सप्ताह लगातार तीन दिन वहीं प्रवास करेंगे। कोशिश यह है कि एक साथ संगठन और जनता दोनों स्तर पर संदेश जाए। चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया सरकार पर निशाना साधते हुए कहा चुके हैं कि कांग्रेस सरकार सिर्फ बातों के जरिए आम लोगों की भलाई की बात करती रही है लेकिन हकीकत ये है कि केंद्र द्वारा भेजी गई रकम का न केवल दुरुपयोग किया गया, बल्कि जो पैसे भेजे गए सरकार उसे भी खर्च नहीं कर सकी। 


भाजपा की तैयारी से माना जा सकता है कि अगले सप्ताह ही वह कर्नाटक चुनाव प्रचार का शंखनाद कर देगी और वह भी मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के गृह क्षेत्र से। एक पखवाड़े पहले बीएस येद्दयुरप्पा की परिवर्तन यात्रा केसमापन पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मैसूर में थे। अब 19 फरवरी को प्रधानमंत्री वहांसे आधा दर्जन विकास योजनाओं को हरी झंडी दिखाएंगे। इसमें रेलवे, सड़क परियोजनाओं के साथ साथ ईएसआइ हॉस्पिटल भी शामिल होगा। 27 फरवरी को वह सेंट्रल कर्नाटक के दावनगेरे में किसानों की रैली को संबोधित करेंगे।इस रैली को दो नजरिए से देखा जारहा है। एक तरफ जहां किसानों को संदेशदिया जाएगा। वहीं भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येद्दयुरप्पा के विरोधियों केलिए भी संदेश हो सकता है।


पार्टी के संगठन पर भाजपा की खास नजर
दरअसल, 27 फरवरी को येद्दयुरप्पा का 75वां जन्मदिन होगा।उस दिन प्रधानमंत्री की मौजूदगी को प्रदेश में अंदर खास नजर से देखा जा रहा है। ध्यान रहे कि भाजपा में 75 वर्ष की आयु को लेकर काफी चर्चा रही है। छिपे तौर पर येद्दयुरप्पा के खिलाफ प्रदेश के कुछ नेता मोर्चा खोले बैठे हैं। उन्हें संदेश होगा। 4 मार्च को वह बीजापुर में होंगे और 13 मार्च को रायचूर में। सूत्रों की मानी जाए तो अलग-अलग क्षेत्र में होनेवाली इन चार रैलियों के जरिये ही प्रधानमंत्री लगभग 200 विधानसभा सीटों को संबोधित करने की कोशिश करेंगे। इस लिहाज से वह चुनाव घोषणा से पहले ही कर्नाटक के हर क्षेत्र में दौरा कर चुके होंगे। रोचक तथ्य यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पहले दौरे में हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र का दौरा किया था, जिसमें रायचूर शामिल था।


माना जा रहा है कि 24 फरवरी से वह मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र में रैलियां कर सकते हैं जिसमें बीजापुर आता है।
अपने आगामी दौरे में प्रधानमंत्री इन दोनों स्थानों पर रैली कर राहुल पर पलटवार कर सकते हैं। संगठन को भी आखिरी वक्त तक ठोकबजाकर दुरुस्त रखा जाएगा।

हाल ही में दैनिक जागरण संवाददाता नीलू रंजन ने कर्नाटक का दौरा किया था और जमीनी हालात को समझने की कोशिश की। 

कर्नाटक में लिंगायत की आबादी जहां 20 फीसद है वहीं वोक्कालिंगा करीब 13 फीसद हैं। भाजपा की तरफ से सीएम पद के लिए घोषित उम्मीदवार बी एस येद्दयुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं। भाजपा को यकीन है कि येद्दयुरप्पा के जरिए वो इस खास वर्ग को अपने पाले में कर सकते हैं। येद्दयुरप्पा के नाम पर किसी तरह की असहमति न हो इसके लिए केंद्रीय स्तर पर कर्नाटक परिवर्तन यात्रा को 90 दिन के लिए प्लान किया गया था जो कर्नाटक के 224 विधानसभाओं से होकर गुजरी थी। इस यात्रा का मकसद ये था कि पार्टी के अंदर येद्दयुरप्पा को लेकर किसी तरह का विरोध न हो और पूरे कर्नाटक में ये संदेश दिया जाए कि भाजपा पूरी तरह से कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड रही है। अगर आप देखें तो दिल्ली में किरण बेदी को चेहरा बनाने के बाद भाजपा ने पहली बार किसी दूसरे राज्य के लिए चेहरे को आगे किया है। 

बी एस येद्दयुरप्पा के महत्व को आप इस बात से समझ सकते हैं कि 2013 में भाजपा से अलग होने के बाद पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था। येद्दयुरप्पा की वजह से करीब 37 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। जहां तक इस बार भाजपा चुनाव में जा रही है उसमें पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के चार साल की उपलब्धियां अहम हैं, भाजपा आम बजट 2018  और तीन तलाक के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है। इसका प्रदर्शम मैसूर की रैली में देखा भी गया। मैसूर रैली में मुस्लिम समाज की अच्छी खासी तादाद देखने को मिला। कर्नाटक में करीब 13 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं जो प्रगतिशील हैं।

इसके साथ ही कांग्रेस काला धन, लिंगायत समुदाय को अलग धर्म और कर्नाटक गौरव के नाम पर चुनावी अभियान में जा रही है। जहां तक जेडीएस और बसपा गठबंधन की बात है वो बहुत हद तक किंगमेकर की भूमिका जैसी है। जेडीएस,वोक्कालिंगा समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और वो बसपा के साथ मिलकर अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखना चाहते हैं। 

प्रधानमंत्री के दौरे के साथ ही अमित शाह भी कर्नाटक में संगठन के ढीले तारों को कस रहे होंगे। बताते हैं कि वह 19 फरवरी से 22 फरवरी तक तटीय कर्नाटक में मौजूद होंगे। वह पार्टी कार्यकर्ताओंकी रैली, मीटिंग के साथ-साथ हाल में मारे गए हिंदू कार्यकर्ता के आवास पर भी जा सकते हैं। बताते हैं कि कर्नाटक का चुनावी कामकाज देख रहे नेताओं के साथ शाह ने कुछ दिन पहलेभी बैठक की थी। जद (एस) और बसपा के बीच गठबंधन के नतीजे पर भी चर्चा हुई। सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा को यह भरोसा है कि वर्तमान स्थिति में ही पार्टी कांग्रेस पर बढ़त में है। ऐसे में प्रधानमंत्री का दौरा और संगठन पर शाह की नजर 150 प्लस के लक्ष्य के लिए जरूरी होगी।

राहुल गांधी का मंदिर दौरा


मंदिरों के दर्शन की वजह से ‘नरम हिंदुत्व’ के आरोप का सामना कर रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह इसे जारी रखेंगे। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मुझे मंदिर जाना पसंद है। जहां कहीं धार्मिक स्थल मिलता है, मैं वहां जाता हूं। मुझे अच्छा लगता है और खुशी मिलती है। मैं यह करता रहूंगा।’ राहुल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येद्दयुरप्पा के आरोप का जवाब दे रहे थे। येद्दयुरप्पा ने उन्हें ‘चुनावी हिंदू’ करार दिया था। वर्तमान कर्नाटक दौरे में राहुल अब तक देवी हुलिगम्मा मंदिर और गवि सिद्धवेश्वर मठ में जाकर दर्शन कर चुके हैं। वह रायचूर जिले में एक दरगाह भी गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और येद्दयुरप्पा पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा, ‘जब येद्दयुरप्पा जी और मोदी जी भ्रष्टाचार के बारे में बात करते हैं तो उन्हें लोगों को यह भी बताना चाहिए कि भाजपा शासनकाल में चार मंत्री और खुद येद्दयुरप्पा जेल गए थे। 11 मंत्रियों को इस्तीफे भी देने पड़े थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.