आगे बढ़ेगी विपक्षी एकता की पहल, जल्द होगी विपक्ष के शीर्ष नेताओं की बैठक
संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे विपक्ष के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाने की यह पहल करेंगे। विपक्षी गोलबंदी की पहल को मजबूती देने के लिए एकता की इस पहल को फिलहाल चुनावी राजनीति से अलग रखा जाएगा।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म किए जाने के बाद संसद में दिख रही विपक्षी एकता को भाजपा के खिलाफ व्यापक राजनीतिक मोर्चेबंदी की दिशा में आगे बढ़ाने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। अब इस एकजुटता की रूपरेखा और दशा-दिशा पर चर्चा के लिए विपक्ष के शीर्षस्थ नेताओं की अप्रैल के पहले हफ्ते में बैठक बुलाए जाने की तैयारी है।
लोकतंत्र की चुनौती बनेगा साझी लड़ाई का सियासी पुल
संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे विपक्ष के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाने की यह पहल करेंगे। विपक्षी गोलबंदी की पहल को मजबूती देने के लिए एकता की इस पहल को फिलहाल चुनावी राजनीति से अलग रखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में विपक्षी पार्टियों की सोमवार को हुई पहली बैठक में आम सहमति बनी कि भाजपा सरकार देश के लोकतंत्र और संविधान पर जिस तरह हमला बोल रही उसको देखते हुए विपक्ष का एकजुट होकर लड़ना अपरिहार्य जरूरत बन गई है।
विपक्ष की कई पार्टियों का कहना
इस बैठक में शामिल विपक्ष की कई पार्टियों ने कहा कि राहुल गांधी की असाधारण तेजी दिखाते हुए रद की गई सदस्यता के बाद बेशक विपक्षी दल संसद में एकजुट होकर भाजपा सरकार का विरोध कर रहे हैं। लेकिन लोकतंत्र पर भाजपा सरकार के बढ़ते प्रहार को रोकने के लिए केवल संसद की एकजुटता ही पर्याप्त नहीं है। इसीलिए खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को विपक्ष के सभी नेताओं से चर्चा की पहल करनी चाहिए ताकि लोकतंत्र और संविधान पर हमलों के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर राजनीतिक लड़ाई लड़ सके।
शीर्ष स्तर के नेताओं की बैठक को लेकर हुई चर्चा
कांग्रेस नेतृत्व ने विपक्षी नेताओं की इस राय से सहमति जताई और अप्रैल के पहले हफ्ते में तमाम विपक्षी पार्टियों के अध्यक्ष के स्तर पर बैठक बुलाने के इरादे जाहिर किए। इस बैठक में बनी सहमति के अनुसार विपक्षी नेताओं की प्रस्तावित बैठक में शरद पवार, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन से लेकर तमाम क्षेत्रीय दलों के प्रमुख नेताओं को इसमें शामिल होने का न्यौता भेजे जाने के पुख्ता संकेत हैं। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने भी इसका संकेत देते हुए कहा कि सोमवार को विपक्षी पार्टियों की बैठक में विपक्ष के शीर्ष स्तर के नेताओं की बैठक को लेकर चर्चा हुई है ओर हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।
एकजुट राजनीतिक लड़ाई
सूत्रों के अनुसार, खरगे के साथ हुई बैठक में विपक्षी पार्टियों के नेताओं का साफ कहना था कि अभी मसला चुनावी नहीं है बल्कि लोकतंत्र पर प्रहार के साथ विपक्ष को खत्म करने के हो रहे प्रयासों को थामने का है। विपक्षी एकता की इस पहल को फिलहाल चुनावी राजनीति से दूर रखा जाएगा। इसीलिए विपक्षी खेमे के दलों के आपसी हित के टकराव एकजुट राजनीतिक लड़ाई के मामले में आड़े नहीं आएंगे। शरद पवार सरीखे कुछ नेताओं ने इसी क्रम में खरगे, सोनिया गांधी व राहुल से सक्रिय पहल करने की बात कही।
राहुल की इस टिप्पणी का संकेत साफ
सूत्रों के मुताबिक इसी चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने एक कदम आगे बढ़कर यह पेशकश की कि लोकतंत्र और संविधान बचाने की लड़ाई में वह अपनी तरफ से कुर्बानी देने को तैयार हैं तो कांग्रेस पार्टी भी विपक्षी एकता के लिए लचीला रूख अपनाने में हिचक नहीं दिखाएगी।
राहुल की इस टिप्पणी का संकेत साफ है कि विपक्षी खेमे के तमाम दलों को भी कुछ न कुछ कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना होगा। कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने राहुल की इस बात से सहमति जताई और तब विपक्षी खेमे में शामिल दलों के शीर्षस्थ नेताओं की बैठक जल्द बुलाने पर आम सहमति बन गई।