प्लास्टिक बोतलों पर रोक लगाने को लेकर उद्योग क्षेत्र ने मोदी सरकार को भेजे ये सुझाव, जानिए
प्लास्टिक बोतलों पर रोक लगाने के मुद्दे पर इससे जुडे़ उद्योगों ने कंपोस्टेबल प्लास्टिक तैयार करने पर जोर दिया गया है। द्योग क्षेत्र के इन सुझावों के आधार पर सरकार फैसला ले सकती।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्लास्टिक बोतलों पर रोक लगाने के मुद्दे पर इससे जुडे़ उद्योगों ने सरकार को अपने सुझाव भेज दिये हैं। इनमें कंपोस्टेबल प्लास्टिक तैयार करने और अन्य वैकल्पिक वस्तुओं के लिए रिसर्च जोर दिया गया है। उद्योग क्षेत्र के इन सुझावों के आधार पर सरकार कुछ फैसला ले सकती है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि इन सुझावों सरकार विचार करेगी। इन्हें संबंधित मंत्रालयों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय को भेज दिया गया है।
पासवान ने बताया कि नौ सितंबर को यहां पर प्लास्टिक बोतलें बनाने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। उनसे लंबी चर्चा के बाद उपभोक्ता मामले मंत्री पासवान ने सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों से अपनी राय लिखित रूप में भेजने को कहा था। उनके सुझावों में सबसे ज्यादा जोर जैविक प्लास्टिक बनाने पर है। उनका कहना है कॉर्न से तैयार होने वाले यह प्लास्टिक मिट्टी के साथ सड़ जाता है। यह किसी भी तरह नुकसान देय नहीं होगा।
अपने अन्य सुझावों में उद्योग क्षेत्र ने चल रही प्लास्टिक बोतलों के रिसाइकिलिंग का सुझाव दिया है। कागज के साथ कंपोस्टेबल (मिट्टी में सड़ जाने वाले) प्लास्टिक के उपयोग पर जोर दिया गया है, जो इकोफ्रेंडली होगा। पीने के पानी की पैकिंग में कागज के उपयोग के लिए और रिसर्च पर व्यय करने की जरूरत है। इसके अलावा पीने के पानी के डिस्पेंसर जगह-जगह लगाये जाएं। पेयजल के लिए कांच की बोतलों का उपयोग किया जा सकता है।
कंपोस्टेबल प्लास्टिक की पैकिंग पर जोर दिया जाए और इसके लिए एफएसएसएआई और भारतीय मानक ब्यूरो मानक विकसित करे। जगह-जगह वाटर एटीएम लगाये जाने के भी सुझाव दिये जाएं। साथ ही पेयजल की पैकिंग को लेकर किसी और विकल्प की तलाश के लिए अनुसंधान पर पूरा जोर दिया जाए।
प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए देश में सघन जागरुकता अभियान चलाने की सख्त जरूरत बताई गई है। सभी सरकारी और गैर सरकारी संगठनों व विभागों में प्लास्टिक के उपयोग पर सख्त पाबंदी लगा दी जाए, जो आम लोगों के लिए उदाहरण बन सके।
कंपनियों की ओर से दिये गये सुझावों सभी संबंधित विभागों को भेज दिया गया है, जो इस पर विचार कर अपनी अंतिम सिफारिश सरकार को सौंपेगी। पेट्रो केमिकल विभाग जहां एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक की परिभाषा तैयार कर रहा है, वहीं पर्यावरण मंत्रालय की समिति इसके दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से रिपोर्ट तैयार कर रहा है। जबकि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इन सारे सुझावों को साझा कर संयुक्त और फाइनल रिपोर्ट तैयार कर सरकार के समक्ष रखेगी।