दूसरे देशों में कच्चे तेल के भंडार बनाएगा भारत, यूएइ देगा साथ
दूसरे देशों में कच्चे तेल के भंडार बनाएगा भारत, यूएइ के साथ मिलकर दूसरे देशों में बनाए जाएंगे रणनीतिक भंडार।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। अब भारत दूसरे देशों में कच्चे केल के भंडार बनाएगा और इसमें उसका साथ यूएइ देगा। अपनी खपत के लिए देश में कच्चे तेल के तीन रणनीतिक भंडार बनाने और आने वाले कुछ वर्षों में तीन और रणनीतिक भंडार की योजना पक्की करने के बाद भारत इस अनुभव को अब दूसरे देशों के साथ साझा करने को तैयार है। भारत की योजना है कि वह न सिर्फ खाड़ी के तेल उत्पादक देशों को यहां तेल भंडारण की सुविधा उपलब्ध कराए बल्कि इन देशों की कंपनियों के साथ मिलकर दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी तेल भंडारण के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले हफ्ते की यूएई यात्रा के दौरान भारत और यूएई की कंपनियों के बीच इस बारे में एक अहम समझौता होगा। यूएई की अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने पिछले वर्ष भारत में बनाए जा रहे तीन तेल भंडारों में रुचि दिखाई थी।
देश में कच्चे तेल के तीन भंडार तैयार, तीन पर काम जारी
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के मद्देनजर इसके भंडारण के कारोबार के प्रति एक बार फिर दूसरे देशों का रुझान पैदा हुआ है। भारत में पुडुर (केरल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) और मंगलोर (कर्नाटक) में तीन भंडारण क्षमता का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। इनमें तकरीबन 60 लाख टन कच्चा तेल रखा जा सकता है। इनमें से दो की शुरुआत हो चुकी है। पिछले वर्ष वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017 में ओडिशा और राजस्थान में दो नई भंडारण क्षमता विकसित करने का एलान किया था। इसके अलावा सरकार की योजना गुजरात में भी एक भंडारण क्षमता विकसित करने की है। इन तीनों पर काम चल रहा है। इन्हें सरकारी तेल कंपनियों की हिस्सेदारी से मिलाकर तैयार की गई इंडियन स्ट्रैटिजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड नाम की कंपनी बनाती है। भारत ने जिस तरह से बेहद कम लागत से इन भंडारण क्षमता को तैयार किया है उसमें कई देशों ने रुचि दिखाई है।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि फिलहाल यूएइ के सहयोग से मंगलोर स्थिति रणनीतिक भंडार में 58.6 लाख बैरल तेल रखा जाएगा। मौजूदा कीमत पर तेल खरीदने पर 30 करोड़ डॉलर की लागत आएगी। इस भंडार का एक हिस्सा आपातकालीन हालात के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। जबकि एक हिस्से का उपयोग अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत बेतहाशा बढ़ने की स्थिति में किया जाएगा। आने वाले दिनों में भारत और यूएइ दूसरे देशों में भी इस तरह के रणनीतिक भंडार करना चाहते हैं। यूएइ के अलावा भी कुछ देशों के साथ रणनीतिक भंडार बनाने को लेकर विमर्श हो रहा है।