चाबहार बंदरगाह पर होने वाली अगली बैठक में भारत अफगानिस्तान को करेगा आमंत्रित
चाबहार बंदरगाह पर उज्बेकिस्तान और ईरान के साथ भारत की अगली त्रिपक्षीय बैठक के लिए अफगानिस्तान को आमंत्रित किया जाएगा। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। बैठक में व्यापार और पारगमन उद्देश्यों के लिए चाबहार बंदरगाह के संयुक्त उपयोग और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने पर चर्चा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह का संयुक्त रूप से इस्तेमाल के लिए भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के बीच होने वाली अगली बैठक में अफगानिस्तान को भी आमंत्रित किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत की मेजबानी में होने वाली इस बैठक की तारीखें तय की जा रही हैं।
ईरान के ऊर्जा समृद्ध दक्षिणी तट के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को संपर्क के लिहाज से मध्य एशिया का प्रमुख बिंदु माना जा रहा है। भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के बीच पहली त्रिपक्षीय वार्ता 14 दिसंबर को हुई और इस दौरान तीनों देशों ने व्यापार बढ़ाने के लिए इस बंदरगाह का संयुक्त तौर पर इस्तेमाल करने की संभावनाओं पर चर्चा की। श्रीवास्तव ने कहा, अफगानिस्तान बड़ा पक्ष है और उसे बैठक के लिए बुलाया जाएगा।
चीन की हाई टेक सीमा बाड़ योजना से चिढ़ा म्यांमार, कही ये बात
चीन की अपनी दक्षिणी सीमा पर दो हजार किलोमीटर लंबी हाई टेक बाड़ लगाने की योजना से म्यांमार चिढ़ गया है। चीन की दलील है कि इससे अवैध तरीके से सीमा पार करने की गतिविधियों तथा कोरोना के प्रसार पर अंकुश लगाया जा सकेगा। जबकि म्यांमार की सेना ने चीन पर 1961 के सीमा समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। म्यांमार की मीडिया रिपोर्टो में कहा गया है कि सेना ने चीनी अधिकारियों को पत्र लिखकर सीमा पर कंटीले बाड़ लगाने के एकतरफा निर्णय पर आपत्ति जताई है। मेजर जनरल जाउ मिन तुन ने एक अखबार को बताया कि स्थानीय बटालियन ने चीन को पत्र लिखकर बाड़ लगाने पर आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय ने भी चीन सरकार के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। इसमें कहा गया है कि 1961 के समझौते के अनुसार, तय सीमा रेखा के दोनों तरफ 10 मीटर में कोई निर्माण नहीं हो सकता।